बिहार न्यूज़ लाईव / पाकिस्तान डेस्क: आर्थिक बदहाली और विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए एक उम्मीद के तौर पर देखी जा रही ऑयल डील को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. रूस से तेल खरीद में पाकिस्तान को मिल रहे स्पेशल डिस्काउंट से पर्दा उठाते हुए रूस ने शुक्रवार को कहा कि तेल खरीद के लिए पाकिस्तान को कोई स्पेशल छूट नहीं दी गई है. रूस ने इस बात की पुष्टि की है कि उसने पाकिस्तान को तेल सप्लाई शुरू कर दी है. पाकिस्तान इसका भुगतान चीनी करेंसी में कर रहा है.
गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए इस डील को शुरुआत से ही काफी महत्वपूर्ण बताया जाता रहा है. लेकिन रूस का यह बयान पाकिस्तान के दावों की पोल खोलने वाला है. हालांकि, तेल मार्केट से जुड़े विशेषज्ञों ने पहले ही इस डील पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पाकिस्तान और रूस के बीच हुई यह डील राजनीति से प्रेरित नजर आ रही है. पाकिस्तान को इस डील से कुछ ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है.
रूस से तेल की पहली खेप मिलने पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर कहा था कि मैंने देश से किया अपना एक और वाद पूरा किया. पहला रूसी कार्गो पाकिस्तान पहुंच चुका है. यह पाकिस्तान और रूस के बीच एक नए रिश्ते की शुरुआत है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने इस महीने की शुरुआत में सरकारी और निजी संस्थाओं को वस्तु विनिमय व्यापार खोलने की अनुमति दी थी. जिससे तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर लगाम लगाया जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 4 बिलियन डॉलर तक गिर गया है. यह राशि मुश्किल से एक महीने के आयात के लिए पर्याप्त है.
पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक के मुताबिक, पाकिस्तान ने रूस से 1 लाख मीट्रिक टन कच्चा तेल खरीदा है. इसी डील के तहत पिछले रविवार को पहली खेप में लगभग 45 हजार टन रूसी कच्चा तेल पाकिस्तान के कराची पोर्ट पहुंचा है. मुसादिक ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि तेल का भुगतान चीनी युआन में किया गया और कुछ हफ्तों में स्थानीय तेल की कीमतों में कमी आएगी. हालांकि, मलिक ने पाकिस्तान को मिलने वाली छूट का खुलासा नहीं किया था.
कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि रूसी तेल की खेप पाकिस्तान पहुंचने से पहले भारत आई थी. रूसी तेल को भारत के गुजरात स्थित रिफाइनरी में रिफाइन किया गया. फिर यूएई के रास्ते यह कराची पहुंचा. रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस ने पाकिस्तान को यह तेल इसी शर्त पर दिया था कि तेल की रिफाइनिंग भारत में होगी. 45 हजार टन लोडेड कार्गो रूस से ईरान और ओमान होते हुए गुजरात पहुंचा था. फिर नायरा एनर्जी लिमिटेड में इसकी रिफाइनिंग की गई. नायरा एनर्जी लिमिटेड में रूसी कंपनी रोसनेफ्ट की 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि रूस से तेल खरीद में पाकिस्तान को 18 से 20 प्रतिशत की छूट दी गई. अगर यह मान लिया जाए कि पाकिस्तान को इतनी छूट मिली होगी, फिर भी पाकिस्तान को फायदा नहीं है. आइए जानते हैं कैसे-
वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल है. यदि पाकिस्तान ने 20 प्रतिशत छूट पर यह तेल खरीदा तो यह कीमत 64 डॉलर प्रति बैरल हो जाएगी. तेल को रिफाइन करने में 4 डॉलर प्रति बैरल खर्च आएगी. वहीं, रूस से इसे पाकिस्तान तक लाने में लगभग 12 डॉलर प्रति बैरल खर्च आएगी. यानी रूसी तेल रिफाइन होकर उसी कीमत पर पाकिस्तान पहुंचेगी जो अंतरराष्ट्रीय कीमत है. ऐसे में इस डील को फायदे का सौदा तो नहीं कहा जा सकता है.
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