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अमित शाह के बयानों को गहलोत ने ग़ैर ज़िम्मेदाराना बताया 

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* राजस्थान पुलिस ने घटना के चार घंटे में ही पकड़ लिया
*गहलोत ने ट्वीट कर कहा एनआईए को जांच सौंपने का ऑर्डर भी सार्वजनिक कर दिया

बिहार न्यूज़ लाइव जयपुर डेस्क:  जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उदयपुर में भाषण में दिए गए उस बयान को लेकर सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर झूठ बोलने और कन्हैयालाल के हत्यारों को एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने की बात कही। गृह मंत्री शाह ने कहा कि गहलोत सरकार तो कन्हैयालाल के हत्यारों को पकड़ना भी नहीं चाहती थी, उन्हें एनआईए ने पकड़ा था। शाह के इस बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्रीय गृहमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।

 

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कन्हैयालाल के हत्यारे रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को घटना के चार घंटे में ही राजस्थान पुलिस ने पकड़ लिया था। यह घटना 28 जून 2022 को हुई थी, जबकि एनआईए को इस मामले की जांच दो जुलाई को सौंपी गई थी। गहलोत ने ट्वीट कर एनआईए को जांच सौंपने का ऑर्डर भी सार्वजनिक कर दिया है, जिसके बाद भाजपा अब बैकफुट पर आ गई है।

ज्ञातव्य है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उदयपुर की जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कन्हैयालाल हत्याकांड पर गहलोत राजनीति कर रहे हैं और हत्यारों को पकड़ना भी नहीं चाहते थे। एनआईए ने हत्यारों को पकड़ा। गहलोत झूठ बोलते हैं कि कार्रवाई नहीं हुई। मैं डंके की चोट के साथ कहता हूं कि स्पेशल कोर्ट में सुनवाई की होती तो हत्यारे फांसी पर लटक चुके होते। जयपुर ब्लास्ट के आरोपियों की सुनवाई के लिए गहलोत सरकार के एडवोकेट जनरल के पास समय ही नहीं है।

गहलोत ने ट्वीट कर लिखा- उम्मीद की जाती है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं करेंगे, परंतु आज उदयपुर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जो किया वह एक गैर जिम्मेदाराना कार्य है। अमित शाह ने उदयपुर में झूठ बोला कि कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को एनआईए ने पकड़ा, जबकि सत्य यह है कि इन्हें घटना के महज चार घंटों में राजस्थान पुलिस पकड़ लिया था।

 

यह दुखद घटना 28 जून 2022 को हुई थी। जबकि एनआईए को इस केस की फाइल 2 जुलाई 2022 को ट्रांसफर हुई। अमित शाह को संभवत: जानकारी में होगा कि ये दोनों हत्यारे भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्हें ये जांच करवानी चाहिए कि इन दोनों के मददगार कौन भाजपा नेता थे, जो इनके लिए पुलिस थानों में फोन करते थे। एक ओपन एंड शट केस में चार्जशीट फाइल होने में भी इतना अधिक समय क्यों लगा और इन्हें अब तक सजा क्यों नहीं हुई?

 

 

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