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नालंदा: फाइलों में ही सिमटकर रह गया नालंदा में जमीन अधिग्रहण का मामला….

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बिहार न्यूज़ लाइव नालंदा डेस्क:  बिहारशरीफ। करायपरसुराय प्रखंड तथा अंचल भवन के निर्माण कार्य के लिए जमीन अधिग्रहण का काम अब तक अधर में लटका है। इस कारण 26 साल बाद भी अपना भवन नहीं बन सका है। 27 अप्रैल 1994 को करायपरसुराय प्रखंड बनाया गया था। तब लोगों में विकास की रफ्तार बढ़ने व सुविधाएं मिलने की आस जगी थी। लेकिन, धनहर व आवासीय के चक्कर में आज तक जमीन का ही अधिग्रहण नहीं किया जा सका।

 

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इसके लिए सात करोड़ रुपए भी आए थे। जिसे, बाद में लौटा दिया गया था। जमीन अधिग्रहण का मामला फाइलों में सिमटकर रह गया है। प्रखंड निर्माण से लेकर आज तक इन 26 सालों में यह पुराने व छोटे से भवन में ही किसी तरह चल रहा है।भवन निर्माण के लिए पर्याप्त जगह की व्यवस्था भी अब तक नहीं हो पायी है। वर्ष 2015-16 से ही प्रखंड और अंचल कार्यालय के भवन निर्माण के लिए जमीन खोजने का काम चल रहा है। दोनों ही कार्यालय एक दूसरे विभाग पर आश्रित हैं।

 

इस दिशा में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता तथा प्रशासनिक स्तरों पर कई बार प्रयास हुए। मगर नतीजा सिफर यानि शून्य ही रहा। ग्रामीणों के लंबे संघर्ष के बाद करायपरसुराय को 27 अप्रैल 1994 को प्रखंड का दर्जा मिला था। भूमि अधिग्रहण में हो रही लापरवाही कानूनी पेंच की अड़चनें पैदा कर रही है। प्रशासनिक स्तर पर कई बार प्रखंड व अंचल कार्यालय जमीन चयन के लिए स्थल निरीक्षण कर प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है। बावजूद इस दिशा में प्रस्ताव के सरकारी प्रारूप पर काम नहीं हो पा रहा है।

 

इस कारण अब तक इसके लिए जमीन की तलाशी ही पूरी नहीं हो पायी है। अधिकारी भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।आठ वर्ष पहले कस्तूरबा विद्यालय के दक्षिण तरफ इसके लिए जगह का निरीक्षण किया गया था। यह जमीन प्रखंड एवं अंचल कार्यालय के लिए उपयुक्त माना गया था। वर्ष 2015-16 में इसकी खरीद के लिए सात करोड़ रुपए मिल�

 

 

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