जयपुर: लाल डायरी का एक पेज को दी चुनौती- जेल में डाला तो सरकार के समाचार समाप्त – गुढा…

Rakesh Gupta
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*15 साल साथ रहा, अब क्यों खराब
* जेल से बाहर रहा तो पन्ने जारी करूँगा
*। मैं भी रणनीति के पन्ने जारी करूँगा

बिहार न्यूज़ लाइव जयपुर डेस्क:  जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा) राजस्थान सरकार की सियासत में लाल डायरी का मुद्दा रूकने का नाम नहीं ले रहा है । पहले से ही सरकार को घेरने के विपक्ष के कपास यह ज़बरदस्त मुद्दा तो है । बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढा ने आज इसका पन्ना उजागर कर दिया ।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान में महिला अपराधों के मुद्दे पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाले पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने तथाकथित लाल डायरी का एक पेज जारी किया है। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। भवानी सामोता और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी सोभाग के बीच लेन-देन का जिक्र करते हुए उन्होंने कथित तौर पर धर्मेंद्र राठौड़ की हैंडराइटिंग भी दिखाई।

राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले गुढ़ा ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान रॉयल्स के राजीव खन्ना भी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं। इस लाल डायरी की जांच आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय को करना चाहिए। मैं समय-समय पर और भी खुलासे करता रहूंगा। मेरे विश्वसनीय के पास डायरी है। जेल चला गया तो मेरा आदमी इस डायरी से जुड़ी जानकारियां सामने लाता रहेगा। उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा कि यदि मुझे जेल भेजा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भी राजनीतिक समाज पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की तरह समाप्त हो जाएंगे। गुढा ने राजे पर भी पर भी निशाना साध दिया ।

गुढ़ा ने कहा कि मैंने सरकार के मंत्रियों पर रेपिस्ट होने के आरोप तथ्यों के साथ लगाए हैं। मैं सच बोल रहा हूं। उन्होंने नार्को टेस्ट की चुनौती भी दे डाली, जिसका इस्तेमाल प्रवर्तन एजेंसियां अपराधियों से सच जानने के लिए करती है। गुढ़ा ने कहा कि मैं खुद अपना नार्को टेस्ट करवाने के लिए तैयार हूं। मंत्रियों का भी नार्को टेस्ट करवाया जाए। इससे सच सामने आएगा।

राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मेरे बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर आए थे। 50–60 हजार लोगों के बीच बोलकर आए थे कि गुढ़ा नहीं होता, तो मैं मुख्यमंत्री नहीं होता। अचानक गुढ़ा में क्या खराबी हो गई? मैं कांग्रेस प्रभारी रंधावा से भी पूछना चाहता हूं। मैंने मां-बहन और बेटियों की सुरक्षा की बात की। इसमें गलत क्या किया? मैं किस बात की माफी मांगू? मैं 15 साल इनके साथ रहा हूं। छह बार इनके कहने से राज्यसभा में वोट किया है। दो बार राष्ट्रपति को वोट किया है। संकट में इनकी सरकार बचाई है। यह पता नहीं था कि आखिरी सत्र के आखिरी दिन मेरे साथ यह किया जाएगा। राजस्थान की सबसे बड़ी पंचायत में जिस तरह मेरी डायरी छीनी गई। छीनने वाले ने कोई पाप नहीं किया क्या? क्या उसका निष्कासन नहीं होना चाहिए, जिसने डायरी छीनी? उनके खिलाफ कुछ नहीं बनता क्या? अगर 15 साल से मैं इन्हें ब्लैकमेल कर रहा हूं तो मैंने उनसे क्या-क्या ले लिया? यह बताते क्यों नहीं?

राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि मेरे खिलाफ रोजाना नए मुकदमे हो रहे हैं। एक मुकदमा आज हो रहा है। एक मुकदमा दो दिन बाद हो रहा है। मैं भी रणनीति के तहत डायरी के पन्ने जारी करता रहूंगा। डायरी के कुछ पन्ने मिसिंग हैं लेकिन मेरे पास जो पन्ने हैं, वह मैं जारी करूंगा। पन्ने स्टेप-बाय-स्टेप जारी करूंगा। मैं जेल से बाहर रहा तो लगातार पन्ने जारी करता रहूंगा। अगर मैं जेल गया तो कोई और आकर मेरी जगह पन्ने जारी करेगा। मुझे अंदर डाल कर देखें सरकार… मैं वेलकम करता हूं। अगर मुझे सरकार ने जेल में डाला तो सरकार के समाचार समाप्त। वंस अपॉन अ टाइम, देअर वाज अशोक गहलोत… भरत सिंह जी चिल्ला–चिल्ला कर मर गए। भाया रे भाया, खूब खाया।
भाजपा से मिलीभगत के सबूत दें

राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस को चुनौती दे डाली कि यदि कांग्रेस मेरी भाजपा से मिलीभगत की बात करती है तो इस मामले में उसे सबूत देना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लाल डायरी का जिक्र करने पर कहा। यह उनका सब्जेक्ट है, वह हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री हैं।


बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र गुढा ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पैरों में लगी चोट से जुड़े सवाल पर गुढ़ा ने कहा कि मैं इतना बड़ा आदमी नहीं हूँ कि मैं जाकर मुख्यमंत्री के दोनों पांव की पट्टी खोल दूं और दिखा दूं कि उनके चोट लगी भी है कि नहीं! मुझे नहीं पता उनके लगी है या नहीं? लेकिन मैं उस पट्टी को खोल भी नहीं सकता। राजस्थान लोक सेवा आयोग के पेपर लीक पर गुढ़ा ने कहा कि पेपर बन भी रहे हैं और आउट भी हो रहे हैं। बाबूलाल कटारा जब जेल में जाता है। उससे पूछताछ होती है, तो उसे सदस्य बनाने वाले से क्यों नहीं पूछा जाता?

 

 

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