कीर्ति बाबू जैसे महामना को जयंती के दिन याद न किया जाना उनका अपमान और लचर प्रशासनिक व्यवस्था का प्रमाण है: राठौर
:अपने ही परिसर में जयंती,पुण्यतिथि पर विरोधाभास के शिकार हो रहे कोसी के शिक्षा दधीचि:
बिहार न्यूज़ लाइव / अनेकानेक कॉलेजों के संस्थापक एवम् कोसी के मालवीय,शिक्षा दधीचि,शिक्षा जगत के विश्वकर्मा जैसे अनेकों नामों से विख्यात कीर्ति नारायण मंडल की जयंती और पुण्यतिथि को लेकर विरोधाभास की स्थिति पर वाम छात्र संगठन एआईएसएफ राष्ट्रीय परिषद सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि इससे आम लोगों के बीच में में भी उलझन होगा और वो इस महान विभूति को उचित समय पर याद नहीं कर पाएंगे।
इसी उलझन को पैदा कर अब कॉलेज प्रशासन आयोजन भी नहीं करके अपना पिंड छुड़ाने में लगे रहते हैं।इस साल उनकी जयंती सात अगस्त को भी उन्हें याद नहीं किया जाना दुखद है।अठारह मार्च को जिला मुख्यालय के टी पी कॉलेज, पी एस कॉलेज में जयंती मनाने व संत अवध में कीर्ति बाबू के मूर्ति के अनावरण ने उलझन को और बढ़ा दिया था। आखिर यह वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी को क्या सीख देगी।राठौर ने सवालिया लहजे में कहा कि टी पी कॉलेज में विगत दो से तीन वर्षों में कभी अठारह मार्च को जयंती मनी तो कभी सात अगस्त को।इससे पता चलता है कि कॉलेज प्रशासन भी कीर्ति बाबू के वास्तविक जयंती व पुण्यतिथि को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। छात्र नेता राठौर ने कीर्ति बाबू की स्थापित परिसर वाले कॉलेजों के रवैए पर कड़ा ऐतराज जताया है और कहा है कि प्रशासनिक कुव्यवस्था का आलम अब यहां तक आ गया है कि अपने ही परिसर में दिलचस्पी नहीं होने व उदासीनता के कारण जयंती ,पुण्यतिथि विगत कुछ वर्षों से उलझन का शिकार है जो कीर्ति बाबू सरीखे महान आत्मा का अपमान है।
राठौर ने कहा कि जब टी पी कॉलेज में सात अगस्त को जयंती के दिन ही कीर्ति बाबू की प्रतिमा का अनावरण व भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ और कॉलेज द्वारा प्रकाशित कीर्ति बाबू के व्यक्तित्व में जन्मदिवस सात अगस्त बताया वहीं दूसरी ओर पार्वती साइंस कॉलेजों ने मार्च 2013 में प्रकाशित स्मारिका व स्वर्ण जयंती दशक प्रवेशांक में कई स्थानों पर साफ साफ सात अगस्त को जयंती दर्शाया है फिर किन हालातों में अठारह मार्च को जयंती कार्यक्रम आयोजित किए गए। 18 मार्च को संत अवध कॉलेज में कीर्ति बाबू की प्रतिमा अनावरण ने और विवाद को बढ़ा दिया है ।
जबकि अनावरण करने पहुंचे बीएनएमयू कुलपति के आलेख का भी हवाला देते राठौर ने कहा कि उन्होंने ने भी कीर्ति बाबू की जयंती सात अगस्त और पुण्यतिथि सात मार्च दर्शाया है।
वहीं राठौर ने टी पी कॉलेज के विज्ञान परिसर में प्रतिमा स्थल के शिलापट्ट और कॉलेज द्वारा प्रकाशित उनके संक्षिप्त जीवनी में पुण्यतिथि और संत अवध में जयंती के गलत होने और पार्वती साइंस कॉलेज में प्रतिमा स्थल पर जयंती पुण्यतिथि के उल्लेख ही नहीं होने पर गहरी नाराजगी जताई है और कहा है कि कई साल से लगातार मांग और आश्वासन के बाद भी सुधार नहीं किए गए अब इसके लिए भी अगर आंदोलन करना पड़े तो दुखद है।छात्र नेता राठौर ने मांग किया कि कीर्ति बाबू सरीखे महामना की जयंती और पुण्यतिथि पर विवाद किसी स्तर पर नहीं होनी चाहिए इसके जिम्मेदार पदाधिकारियों को शो काज करते हुए अविलंब सुधार किया जाए।
विश्वविद्यालय स्तर पर कीर्ति बाबू की जयंती पुण्यतिथि होनी चाहिए वहीं वाम छात्र नेता हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि कीर्ति बाबू द्वारा स्थापित टीपी, पीएस कॉलेज व अन्य संस्थान बीएनएमयू के स्थापना का आधार है इस लिए ऐसे महामना की जयंती कॉलेज स्तर के साथ व्यापक रूप से विश्वविद्यालय स्तर पर भी आयोजित होना चाहिए जो नहीं हो पा रहा है।राठौर ने चिंता जताई कि अगर अपने अतीत को इस तरह नजरंदाज कर मजाक बनाया गया भविष्य गुमराह होना तय है।
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