बिहार न्यूज़ लाइव नालंदा डेस्क: बिहारशरीफ।मनरेगा यानी लूट खसोट की योजना। इसी नाम से लोग, मनरेगा योजना को जानने लगे है। नालंदा जिला का शायद ही कोई प्रखंड ऐसा नहीं होगा, जहां की इस योजना में लूट की शिकायतें नहीं मिलती होगी । सरकारी पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों की मदद से बिना धरती पर कार्य किए हुए ही राशि के बंदरवांट होना आम बात हो गई है।
बताया जाता है कि लोगों द्वारा शिकायत मिलने के बाद जांच भी की जाती है जिससे इस योजना में बड़े पैमाने पर धांधली कि खबरें आती रहती है।बताया जाता है कि नालंदा जिले के नूरसराय प्रखंड के बड़ारा पंचायत में मनरेगा से पौंधारोपण में भारी अनियमितता किये जाने का मामला प्रकाश में आया है।जांच टीम द्वारा पूरे मामले की जांच की गई जिसमें पाया गया कि मनरेगा कर्मियों व तत्कालीन मुखिया के मिली भगत से बिना काम किए हुए ही राशि का बंदर बांट कर लिया गया है। जांच टीम के रिपोर्ट के आधार पर मनरेगा कर्मियों को दंडित करते हुए राशि की वसूली करने का आदेश दिया गया है, परंतु इस पूरे मामले में शामिल तत्कालीन मुखिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि राशि का गवन मुखिया की मिली भगत से ही हुआ था, जिसमें सरकारी कर्मचारियों सहित मुखिया पर भी कार्रवाई होनी चाहिए थी।
नूरसराय के बड़ारा पंचायत में मनरेगा के तहत
पौंधारोपण कार्य में नियमों को ताक पर रखकर 3,18,140.00 रुपये का दुरूप्रयोग किया गया है। इसका जिक्र स्टेट स्तरीय जांच टीम द्वारा भी की गयी है। दो योजनाओं की जांच के लिए जिला स्तर से गठित तीन सदस्यीय दल द्वारा किया गया। उसके द्वारा भी योजना क्रियान्वयन से जुड़े लोगों को दोषी ठहराया गया है। पुरे प्रकरण की दोहरी जांच के बाद सरकारी राशि अपव्यय करने के आरोप में अब पीओ,पीटीए, पीआरएस व जेई से उक्त राशि की वसूली किये जाने का आदेश दिया गया है।
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