मनोज भावुक ने एआईसीटीई के मंच से क्यों कहा- ‘’हिंदी बोलियों के समूह की भाषा है’’

Rakesh Gupta

 

दिल्ली:” हिंदी की वजह से ही हम संवाद कर पा रहे हैं वर्ना अपने ही आँगन में गूँगे-बहरों की तरह रहते। हिंदुस्तान के तमाम राज्यों को जोड़ती है हिंदी। बातचीत में शुद्ध हिन्दी की मांग नहीं होनी चाहिए। दरअसल हिंदी बोलियों के समूह की भाषा है। बोलियों का विकास हिंदी का विकास है। हिंदी की लड़ाई अंग्रेजी से है, बोलियों से नहीं। इसलिए हिंदी को उसके डायलेक्ट के साथ फलने-फूलने दिया जाय। ”

 

उक्त बातें अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ( एआईसीटीई ) के हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुँचे प्रख्यात साहित्यकार मनोज भावुक ने कही।

 

इससे पहले एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर टी जी सीताराम, उपाध्यक्ष डॉ. अभय जेरे, सचिव प्रोफेसर बी आर काकड़े, सलाहकार डॉ. आर के सोनी, डॉ. ममता रानी अग्रवाल और मुख्य अतिथि मनोज भावुक ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

 

फिर भावुक ने हिन्दी के विकास व गिरमिटिया देशों में उसकी यात्रा, तकनीकी शिक्षा और हिंदी, बतौर टेक्नोक्रेट अपने अफ्रीका व यूरोप प्रवास के अनुभव को साझा करते हुए अपनी प्रसिद्ध हिन्दी कविता खिलने दो खूशबू पहचानो, बस तुम अच्छे लगते हो, वसंत आया, पिया न आए गाकर युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। सभागार में उपस्थित पूर्वाञ्चल के लोगों के डिमांड पर मनोज भावुक ने अपनी भोजपुरी गजलें भी सुनाईं- सूरज खड़ा बा सामने आ रात हो गइल और रंग चेहरा के बा उड़ल काहे / चोर मन के धरा गइल बा का ?

 

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर टी जी सीताराम ने तकनीकी शिक्षा के लिए हिन्दी के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनेक योजनाओं का जिक्र किया और अपने भाषण का समापन इस वादे के साथ किया कि अगले वर्ष अपनी हिन्दी को और बेहतर करके मिलूँगा।

 

इस अवसर पर डॉ. आर के सोनी ने हिंदी पखवाड़ा संबंधी रिपोर्ट पेश किया और हिन्दी पखवाड़ा में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के 110 विजेताओं को परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर टी जी सीताराम और मुख्य अतिथि मनोज भावुक के कर कमलों द्वारा पुरस्कृत कराया।

 

एआईसीटीई के उप निदेशक व पर्यावरण केंद्रित कविताओं के लिए प्रसिद्ध कवि डॉ. निखिल कांत व अवधेश कुमार के संयोजन और हिन्दी अधिकारी श्रीमती रीना शर्मा के सशक्त संचालन में कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया।

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