कर्नाटक में बिहारी मजदूरों की मौत का मुद्दा संसद में गूंजा

Rakesh Gupta
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बिहार न्यूज़ लाईव /कर्नाटक के विजयपुरा स्थित अलियाबाद औद्योगिक क्षेत्र की एक निजी खाद्य प्रसंस्करण इकाई के गोदाम में डायर के क्षतिग्रस्त हो जाने से बिहार के सात मजदूरों की मौत का मामला आज लोकसभा में गुंजा। इस दौरान कर्नाटक सरकार से 10 लाख और बिहार सरकार से 1 करोड़ रूपये मुआवजे की मांग की गई है। विदित हो कि आज लोकसभा में शून्यकाल के दौरान सारण के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने इस इस दुर्घटना से सदन को अवगत कराया और समुचित मुआवजे की मांग की। उन्होंने कहा कि है। देश के किसी भी राज्य में कोई दुर्घटना होती है तो उसमें मरने वाला मजदूर बिहारी होता है। आखिर ऐसा क्यों होता है ? यह घटना कर्नाटक में हुई है। इसलिए कर्नाटक सरकार को प्रत्येक मृतक के परिजनों को दस-दस लाख रूपये की राशि देनी चाहिए और बिहार सरकार को एक-एक करोड़ रूपया मुआवजा के तौर पर प्रदान करनी चाहिए।

 

इससे पहले सदन में रुडी ने कहा कि मैं आज बिहार के चौदह करोड़ लोगों के दर्द का विषय उठाने के लिए उठा हूं, और मुझे विश्वास है कि भारत के एक सौ चालीस करोड़ लोगों की संवेदना इस विषय के साथ होगी। उन्होंने कहा कि अभी तीन दिन पहले कर्नाटका के विजयपुरा में सात मज़दूरों की मौत हो गई। आज मै बिहार के उन गरीबों की चीख सुनाने सदन में आया हूँ। उन्होंने कहा कि अनुमान लगाइए कि कैसी व्यवस्था होगी जब गोदाम में बोरे गिरने से सात मज़दूर चीख-चीख कर मर जाते हैं। उनकी आयु क्या है? 

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उन्होंने कहा कि खगड़िया का राजेश मुखिया, 20 वर्ष, बेगुसराय का शम्भु मुखिया 40 वर्ष, कृष्णा मुखिया 18 वर्ष, दुलालचंद मुखिया 33 वर्ष, समस्तीपुर के रामबिर्ज 36 वर्ष, रामबालक मुखिया 58 वर्ष,  लोकु यादव 50 वर्ष। इनकी पहचान है कि ये गरीब है और सब वैसे पिछड़े समाज के हैं जिसकी दुहाई बिहार की सरकार लगातार देती रही है। जिसकी दुहाई देकर जिन गरीबों के की चिंता कर लगातार ये पैंतीस वर्ष से शासन कर रहे है, वो इन गरीबों की चीख है। उन्होंने कहा कि यह केवल यही की कहानी नहीं है यह पूरे भारतवर्ष की है। पुणे में मरने वाला मज़दूर बिहारी है, बैंगलोर सफाई करने जाता है वह मज़दूर जिसकी मौत होती है वह बिहारी है, दिल्ली के मंडी में आग लगती है मरने वाला मजदूर बिहारी, छत्तीसगढ़ में मारे जाने वाला मज़दूर बिहारी है, पंजाब के लुधियाना में खेत से काम करके अपने घर में सोता है और आग लगने से मर जाता है वह बिहारी है, हैदराबाद में मरने वाला बिहार है, कश्मीर के घाटियों में जो अपना पेट भरने जाता है आतंकियों के गोली से मरने वाला भी बिहारी है।

 

रुडी ने सदन में कहा कि बिहारी आगे है, बिहार पिछड़ा क्यों है इसी सवाल के साथ इन मरने वाले मज़दूरों की आवाज़ और चीख लेकर आया हूँ। बिहार के चौदह करोड़ के आबादी में से किसी को यह बात स्वीकार करने में कठिनाई होती है कि चार करोड़ लोग बिहार छोड़ कर चले गए हैं और चार करोड़ में से तीन करोड़ लोग वो है

 

जिसकी जातीय गणना बिहार की सरकार कराती है राजनीति करती है। उन्होंने कहा कि मैं कर्नाटक सरकार से कहूंगा कि जिम्मेवार के खिलाफ कार्रवाई की जाए दस लाख रुपए का मुआवज़ा कर्नाटक की सरकार इन मजदूरों के आश्रितों को दे वहीं बिहार की सरकार से एक-एक करोड़ हर मरने वाले मज़दूर के परिवार को दिया जाए क्योंकि यही चार करोड़ बिहार के लोग जो पूरे भारत में रहते हैं वो बिहार सरकार की खर्चा चलाते हैं।

 

 

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