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अररिया: भरगामा बीडीओ की मनमानी चरम पर,लोगों में आक्रोश

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 बिहार न्यूज़ लाईव अररिया डेस्क: जिले के भरगामा प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित उनके अधीनस्थ सभी कर्मी की मनमानी चरम पर है। इनलोगों की मनमानी की वजह से हजारों गरीब परिवारों के लाखों लोग विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं। बताया जाता है,कि बिहार सरकार गरीब परिवारों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। लेकिन भरगामा में धरातल पर लोगों को इस योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोगों ने इसका जिम्मेदार प्रखंड विकास पदाधिकारी को बताते हुए कहा,कि इस प्रखंड विकास पदाधिकारी के मनमानी के चलते निश्चित रूप से बिहार सरकार की खामियां उजागर हो रही है और इसका जवाब आनेवाले चुनाव में नीतीश कुमार को भुगतना हीं पड़ेगा।

 

दरअसल,पूरा मामला यह है,कि बिहार सरकार ने जो सभी पंचायतों में पंचायत भवन एवं पंचायत सरकार भवन और सामुदायिक भवन करोड़ों रुपए की लागत से बनाया है। उसमें अक्सर ताला लटके रहने के कारण उस भवन से मिलने वाले विभिन्न तरीके के सुविधाओं का लाभ स्थानीय ग्रामीणों को नहीं मिलने के कारण लोगों में आक्रोश व्याप्त है। नाम नहीं छापने के शर्त पर लोगों ने बताया है,कि यहां के प्रखंड विकास पदाधिकारी कोई पदाधिकारी नहीं बल्कि रंगबाज राजा हैं। ऐसा कहना इसलिए जायज है कि वे यहां के ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करने में कम और अपनी समस्याओं का समाधान करने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।

 

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वहीं अगर सूत्रों की माने तो जब भी किसी ग्रामीण या समाजसेवी व पत्रकारों द्वारा गरीब परिवारों को हो रही विभिन्न तरीके की मूलभूत समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद कर उसे अखबारों में प्रकाशित किया जाता है तो उक्त लोगों से बीडीओ साहब खासा नाराज हो जाते हैं,और समस्या को प्रमुखता से उजागर करने वाले पत्रकारों,ग्रामीणों एवं समाजसेवियों के विरुद्ध अपने अधीनस्थ कर्मियों को उकसा कर झूठा मुकदमा में फसा देने की धमकी देते हैं,इतना हीं नहीं वे खुद भी पत्रकारों,ग्रामीणों एवं समाजसेवियों को विभिन्न तरीके से डरा धमका कर अपनी लोहा मनवा हीं लेते हैं।

 

शायद यही कारण हो सकता है,कि प्रखंड के सभी पंचायतों का पंचायत भवन एवं पंचायत सरकार भवन और सामुदायिक भवन पूर्ण रूपेण बंद पड़ा हुआ है। अगर कहीं कभी-कभार उक्त कार्यालय का ताला खुलता भी है तो वह भी कुछ क्षणों के लिए हीं खुलता है। कहा जाता है कि बीडीओ साहब के द्वारा विभिन्न तरीके से षड्यंत्र रचकर लोगों को झूठा मुकदमा में फसाने की धमकी दिया जाता है।

 

शायद यही वजह है कि लोग अपनी मूलभूत समस्याओं को उजागर नहीं कर पाते हैं। अब इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो साहब हीं बता पाएंगे या फिर जिला प्रशासन के जांच में हीं खुलासा हो पाएगा। बरहाल इस मामले की हकीकत जानने के लिए बीडीओ के दूरभाष यंत्र पर कई बार संपर्क किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

 

 

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