बिहार न्यूज़ लाइव पटना डेस्क: बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के द्वारा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के संबंध में की गई टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की भाषा और अपसंस्कृति की बोली कहीं से भी क्षम्य नहीं है। और ऐसी भाषा बोल कर पिता-पुत्री के रिश्ते, स्नेह और प्यार को तार-तार किया है। और इससे प्रतीत होता है कि भाजपा को इंसान, इंसानियत और मानवता के लिए किए गए कार्यों और योगदानो को भी राजनीतिक दृष्टि से देखने की आदत सी बन गई है।
एजाज ने आगे कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के द्वारा उपकृत किए गए सम्राट चौधरी राजद के पाठशाला से नाबालिग से बालिग हुए हैं और उन्हें राजद ने ही राजनीति में स्थापित होने का मौका दिया है तो वह उस समय क्या दिए थे यह बात भी स्पष्ट कर दें। उस समय इनके लिए लालू प्रसाद जी ने जो कार्य किए थे उस कार्यों को भी याद कर लिए होते, तो ऐसी भाषा बोलने से पहले वह सौ बार सोचें होते। एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति ने ऐसी अपसंस्कृति और अशोभनीय टिप्पणी करके कहीं ना कहीं स्वयं को ही कठघरे में खड़ा कर लिया है ,दरअसल इस तरह की भाषा बोल कर अपने आप को स्थापित रखने और खबरों में बने रहने के लिए ये लगातार करते रहे हैं।
एजाज में आगे कहा कि डॉ रोहिणी आचार्य ने एक बेटी के फर्ज और कर्तव्य का निर्वहन करके जिस तरह से अपने पिता को जीवन दान दिया और किडनी डोनेट करके जो अनुकरणीय कार्य किया है, उसकी राज्य और देशभर में प्रशंसा हो रही है और सभी लोग इस बात के कायल हैं ,कि इंसान ,इंसानियत और मानवता के दृष्टिकोण से उन्होंने जो फर्ज निभाया है वह सभी बेटियों को गौरवान्वित करने का मौका प्रदान करता है। और उन्होंने जो कार्य किए हैं वह एक पिता के प्रति बेटा और बेटी के समर्पण के भाव को मजबूती प्रदान करता है। और साथ ही साथ यह दर्श मिलता है कि माता-पिता के बेहतर लालन पालन का असर कहीं ना कहीं पुत्र-पुत्री के किए गए कार्यों से भी दिखता है और यह परिवार के द्वारा दिए गए विचार और कार्य को भी मजबूती प्रदान करता है।
एजाज ने कहा कि सम्राट चैधरी जी आप बिहार के उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं इसलिए ऐसी भाषा से स्पष्ट होता है कि भाजपा की सोच मानवीय संवेदना और एक पिता के प्रति संतान का समर्पण और योगदान को कहीं ना कहीं राजनीतिक लाभ के लिए दिया गया बयान प्रतीत होता है। और ऐसी भाषा के लिए सम्राट चैधरी से क्षमा याचना करने और इस्तीफा की मांग की है ,क्योंकि ऐसी भाषा को भारत की संस्कृति और सभ्यता में कभी भी पसंद नहीं किया जाता है।
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