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वाराणसी: ग्लोबल वार्मिंग से बचाव का रास्ता दिखाता है मिथिला नववर्ष

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*प्रकाशनार्थ*

ग्लोबल वार्मिंग से बचाव का रास्ता दिखाता है मिथिला नववर्ष

*स्वछता का प्रतीक है मिथिला नववर्ष*

*मिथिला नववर्ष पर मिथिला पंचांग का हुआ लोकार्पण*

*बरसात की कामना से लोकनृत्य झिझिया की हुई प्रस्तुति*

*नववर्ष पर गणमान्य जनों का हुआ सम्मान बिहार न्यूज़ लाइव वाराणसी डेस्क वाराणसी,14 अप्रैल| मैथिल समाज, उत्तर प्रदेश द्वारा चौखंम्भा स्थित भारतेन्दु भवन में मिथिला का नववर्ष जुड़ शीतल के रूप में मनाया गया| सर्वप्रथम आगत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का उद्घाटन किया गया| अतिथियों ने महाकवि विद्यापति के चित्र पर माल्यार्पण किया|

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समारोह के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश बार कौंसिल सदस्य विनोद कुमार पाण्डेय ने कहा की आम मैथिल जनमानस को समर्पित पाकेट मिथिला पंचांग में मिथिला के पर्व,त्योहार,लगन,विवाह,द्धिरागमन,जनेऊ, मुण्डन,गृहप्रवेश आदि तिथियों को पाकेट पंचांग में आसान शब्दों में दर्शाया गया है जिससे कि सामान्य मैथिल परिवार भी पंचांग के अनुसार अपने कार्य संपादित कर सके|

समारोह की अध्यक्षता कर रहे काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष अत्रि भारद्वाज ने कहा कि पीछले कुछ दशकों में आधुनिकीकरण के कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी चीजें बढती जा रही हैं,ऐसे में पर्यावरण को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है|जुड़ शीतल का पर्व मुख्य रूप से प्रकृति से जुड़ा हुआ है| ग्लोबल वार्मिंग बढ़ते खतरे के बीच जुड़ शीतल जैसे त्योहार हमें प्रकृति के प्रति प्रेम,सद्धाव और संरक्षण की प्रेरणा देता है|

अति विशिष्ट अतिथि सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री सुरेन्द्रनाथ पाण्डेय ने कहा की जुड़ शीतल का प्रकृति से सीधा संबंध है|इस मौके पर बड़े बुजुर्ग अपने से छोटे लोगों के सिर पर बासी पानी डालकर “जुड़ैल रहु” का आशीर्वाद देते हैं| मिथिलांचल के लोगों का मानना है की इससे पुरी गर्मी सिर ठंडा रहता है|साथ ही मिथिलावासी इस दिन संध्या को पेड़ पौधों में जल डालते हैं,जिससे गर्मी के मौसम में भी पेड़ पौधे हरे भरे रहें| जिस प्रकार मिथिला के लोग छठ लोक महापर्व पर सूर्य और चौरचन पर्व पर चन्द्रमा की पूजा करते हैं उसी प्रकार जुड़ शीतल पर मैथिल समाज के लोग जल की पूजा करते हैं और भीषण गर्मी में शीतलता की कामना करते हैं| इस दिन तुलसी के पौधे में जल डालने का विशेष महत्व है|

मिथिला नववर्ष समारोह में लोकनृत्य झिझिया जिसे बरसात नृत्य भी कहा जाता है इस भीषण गर्मी में भगवान इन्द्र को खुश करने के लिए मनोहारी झिझिया नृत्य की प्रस्तुति बृष्टि के नृत्य निर्देशन में इशिता, वैश्नवी,श्रिया, सुनैना,परी और कावेरी द्वारा किया गया|

समारोह में आये हुए लोगों को वृक्ष लगाने के लिए संस्था द्वारा प्रेरित किया गया| सभी आगन्तुकों को तुलसी का पौधा वितरित किया गया|

यूपी बार कौंसिल सदस्य विनोद कुमार पाण्डेय,सेन्ट्रल बार के महामंत्री सुरेन्द्रनाथ पाण्डेय,काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष अत्रि भारद्वाज, प्रो हरि प्रसाद अधिकारी को ऋषि जैमिनि सम्मान दिया गया|

समारोह का संयोजन/संचालन गौतम कुमार झा एडवोकेट) ने और सहसंयोजन मालिनी चौधरी ने किया| स्वागत दीपेश चन्द चौधरी और धन्यवाद संस्था के अध्यक्ष निरसन कुमार झा (एडवोकेट) ने किया|

समारोह में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश राज्य पुरुष्कार प्राप्त डा जितेंद्र नाथ मिश्र,सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक डा विजय कपूर, डा जयन्त चौधरी, दीपक राय कान्हा, गंगा प्रसाद झा, मनोज मिश्र, सुधीर चौधरी, नटवर झा,सुनील कुमार दास आदि लोग शामिल थे|

 

 

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