लोकसभा चुनाव 2024 के कुछ नए ट्रैंड्स :लोकसभा चुनाव में कई नए सकारात्मक और नकारात्मक ट्रेंड दिखाई दे रहे, इनपर भविष्य में करना होगा भरपूर मंथन

Rakesh Gupta
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लोकसभा चुनाव 2024 के कुछ नए ट्रैंड्स

 

लोकसभा चुनाव में कई नए सकारात्मक और नकारात्मक ट्रेंड दिखाई दे रहे, इनपर भविष्य में करना होगा भरपूर मंथन

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✍️ डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

 

भारत में लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव 2024 अपने अंतिम चरण की ओर है। इस बार का चुनाव बेहद नवीन अंदाज में चल रहा है। सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इस बार के चुनाव को एक अलग स्वरूप दिया है। इसमें नैतिक रुप से क्या सही और क्या गलत रहा? ये तो चुनाव बाद मंथन का प्रमुख मुद्दा रहेगा ही। लेकिन लोक सभा चुनाव 2024 अपनी कई यादें जरूर छोड़ जाएगा।

 

चुनाव में यूट्यूब का जलवा रहा कायम

 

लोकसभा चुनाव 2024 को यूट्यूब चुनाव के रूप में याद किया जाएगा। कई लोकसभा क्षेत्रों में यूट्यूब पर चुनावी सभाओं के लाइव प्रसारण ने चुनावी फिज़ा में ऊर्जा का संचार किया है तो कई सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स ने विभिन्न मुद्दों पर विचार विनिमय के माध्यम से राजनीतिक दलों को सचेत भी किया है, जोरदार बहस चली है। सत्ता पक्ष और विपक्ष का भी ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि यूट्यूब पर कुछ भी अपलोड कर देना कितना उचित है यह तो निर्वाचन आयोग ही जानता है? लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में यूट्यूबर्स ने चुनावी माहौल में जबरदस्त ऊर्जा फूंकी है। यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर चुनाव से जुड़े रिल्स खूब देखे गए हैं। व्यूर्स का जबरदस्त सपोर्ट्स भी दिखा है लेकिन इन रील्ज का सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। कई राजनीतिक दलों के डिजिटल वार रूम ने अपने अपने रील्स की लोकप्रियता बढ़ाने के भरपूर जतन किए है।

 

एआई और सोशल मीडिया की युक्ति

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए आई) में चल रही क्रांति के चुनाव के दौरान प्रभाव पड़ने की आशंकाएं जताई जा रही थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया की जुगलबंदी ने लोकसभा चुनाव में गजब की स्थिति पैदा की है। इन दोनों की जुगलबंदी ने ऐसे ऐसे वीडियो बनाए हैं जो तथ्य से अलग और पूरी तरह भ्रमित करने वाले फेक न्यूज की तरह है। निश्चित तौर पर चुनाव आयोग जैसी संस्थाएं इस मसले पर भविष्य में विचार मंथन करेगी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया की जुगलबंदी का तोड़ क्या होगा?

 

क्लिक हियर ट्रेंड बना महत्वपूर्ण

 

सोशल मीडिया वर्तमान में लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण भाग बन गया है और इस पर आए दिन नए-नए ट्रेंड वायरल होते रहे हैं। एक्स यानी पूर्व ट्विटर पर भी यूजर्स का समंदर है और अब एक्स पर एक दिलचस्प ट्रेंड वायरल हो रहा है, जो कि क्लिक हियर ट्रेंड हैं। दरअसल, पिछले दो तीन दिनों से जब भी लोग अपना एक्स ओपन कर रहे हैं, उन्हें क्लिक हियर ट्रेंड वाली अनेक पोस्ट दिख रही हैं। लोकसभा चुनावों का दौर है, तो विभिन्न राजनीतिक दल भी इस ट्रेंड का यूज कर रहे हैं। इसमें भाजपा से लेकर कांग्रेस तक, सभी शामिल हैं।

 

कही बातें हो रही तत्काल वायरल

 

लोकसभा चुनाव 2024 में एक खास ट्रेंड यह भी दिखाई दिया कि सियासी गलियारों में कही गई बातें तुरंत वायरल हो जा रही है। हर कथन मुद्दा बन जा रहा है और जोरदार बहसें शुरू हो जा रही है।जैसा कि सैम पित्रोदा के मामले में हुआ। कई बार यह भी देखा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को अपने द्वारा कहे गए तथ्यों पर स्पष्टीकरण देना पड़ा और नई व्याख्या करनी पड़ी।

 

सोशल मीडिया बना बेहद महत्वपूर्ण

 

लोकसभा चुनाव 2024 ने स्पष्ट कर दिया है कि हर हाथ में आए एंड्रॉयड फोन ने चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया के महत्व को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। हर राजनीतिक दल के डिजिटल वार रूम भी इसी तथ्य को रेखांकित कर रहे हैं। प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तमाम नवोन्मेष को लाने के बाद भी चुनाव प्रचार के खर्च के एक सीमा को ही अपनी ओर खींच पा रहे हैं।

 

स्तरहीन आरोप कम लगे

 

एक खास तथ्य देखा जा रहा कि पिछले चुनाव की तरह अभी तक सियासी गलियारों में जुबां की मर्यादा काफी हद तक बरकरार रही है। सियासतदानों ने पिछले लोकसभा चुनाव की तरह अपने जुबां की मर्यादा को कम से कम अभी तक तो तार तार नहीं किया है। हां आरोप का तर्कविहीन होना और जाति धर्म के आंकड़ों पर अनवरत मंथन, जोड़ घटाव जारी है।

 

अंडर करेंट का देखने को मिलेगा जादू

 

लोकसभा चुनाव 2024 में विशेष राजनीतिक दल के प्रति कोई बड़ी लहर तो नहीं दिख रही है लेकिन विशेषज्ञ अंडर करेंट प्रवाहित होने की आशंका से इंकार नहीं कर रहे हैं। विशेषज्ञ अनुमान जता रहे हैं कि मतदाताओं में प्रवाहित हो रहा यह अंडर करेंट चौंकाने वाला चुनाव परिणाम भी ला सकता है। चुनाव प्रचार के दौरान बहता अंडर करंट अब भारतीय चुनाव प्रणाली का अहम तथ्य है।

 

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के भरपूर जतन

 

मतदान को लोकतंत्र का प्राणवायु भी माना जाता रहा है। मतदान प्रतिशत के बढ़ने से ही भारतीय लोकतंत्र परिपक्व हो सकता है। इसके लिए चुनाव आयोग स्वीप प्रोग्राम भी चला रहा है। परंतु 2024 के लोकसभा चुनाव के प्रारंभिक चरण के मतदान के कम प्रतिशत ने यह तथ्य जाहिर कर दिया है कि स्वीप को जन आंदोलन बनाने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद के चरण में तमाम प्रयासों के बाद मतदान प्रतिशत कुछ बढ़ा लेकिन अभी भारत में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है।

 

रोड शो का दिखा जलवा

 

लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान रोड शो के प्रति सियासी दलों का विशेष रुझान देखा गया। मंच से जनसामान्य को संबोधित करने के बजाय रोड शो के माध्यम से जनसंवाद को विशेष तवज्जो दी गई। ड्रोन आदि के माध्यम से इन रोड शो का कवरेज कर खूब सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया।

 

समय के साथ परिवर्तन अवश्य होता है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान अभी तक कई नए ट्रैंड्स दिखाई दे रहे हैं। इसमें कुछ आश्चर्यजनक हैं तो कुछ हत प्रभ कर देनेवाले भी। कुछ खतरनाक परिणामों की तरफ इशारा कर रहे हैं तो कुछ सकारात्मक भी हैं। लेकिन हमारे लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है कि मतदान प्रतिशत आवश्यक रुप से बढ़े।

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