Bihar news live desk: लोगों ने पौधे लगाकर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस
भरगामा से अंकित सिंह की रिपोर्ट.
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बुधवार को भरगामा प्रखंड क्षेत्र में लोगों ने जगह-जगह पौधारोपण किया. साथ हीं पौधों को पेड़ बनने तक सुरक्षा देने की शपथ ली. प्रखंड क्षेत्र के शंकरपुर बघुवा राजपूत टोला के प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में बिट्टू उर्फ चंदन सिंह,करण सिंह,बाबुल उर्फ विश्वजीत सिंह,विकसित सिंह,अमन सिंह आदि ने फलदार और छायादार पौधे लगाकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया. इस मौके पर बिट्टू सिंह ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने और क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए आज से वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की गई है. बारिश के मौसम में क्षेत्र में जगह-जगह पर वृक्षारोपण किया जायेगा. वहीं बाबुल सिंह ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है,जो प्रत्येक वर्ष पाँच जून को विश्वभर में पर्यावरण के नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए और लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है. जीवन को बेहतर और अधिक प्राकृतिक बनाने के लिए पूरे विश्वभर में पर्यावरण में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस अभियान की स्थापना की गई है. आजकल,पर्यावरण का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा है,जिसके बारे में सभी को जागरुक होना चाहिए और इस परेशानी का सामना करने के लिए अपने सकारात्मक प्रयासों से पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए. प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है. हमें प्रकृति के साथ तालमेल बिठाना हीं होगा. विश्व में लगातार वातावरण दूषित होता जा रहा है. जिसका गहरा प्रभाव हमारे जीवन में पड़ रहा है. पर्यावरण को बचाने के लिए हर व्यक्ति को आगे आना होगा. वहीं करण सिंह ने कहा कि धूल,धुंआ और पर्यावरणीय धुंध की परत के संकट से निपटने का एक मात्र उपाय धरा को हरा भरा रखना यानि पौधरोपण है. पौधों की कमी के कारण हीं धरती को बुखार यानि ग्लोबल वार्मिंग लग गया है,तो मौसम का मिजाज बिगड़ गया है. ऐसे में हमें धरती की ताप व बुखार को ठीक करने के लिए हर दिन पर्यावरण दिवस मनाना होगा. क्योंकि ये पेड़ पौधे हमारे जीवन के लिए अमूल्य हैं. पांच जून को पूरी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस मनाती है. पेड़ पौधे लगाए जाते हैं. इसके बाद अगले 364 दिन उसकी याद भी नहीं आती. एक आदमी के लिए जीवन में प्राण,वायु,ऑक्सीजन के लिए 18 पेड़ की आवश्यकता पड़ती है. एक व्यक्ति को कम से कम इतने पेड़ों का जिम्मा तो लेना हीं चाहिए.
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