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भाजपा और जदयू नेताओं को लालू परिवार पर चिंतन करने के बजाय राज्य की चिन्ता करनी चाहिए….

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भाजपा और जदयू नेताओं को लालू परिवार पर चिंतन करने के बजाय राज्य की चिन्ता करनी चाहिए

 

बिहार न्यूज़ लाईव सारण डेस्क: राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि भाजपा और जदयू के नेता लालू जी के परिवार पर जितना चिंतन करते हैं उसका दशांश भी यदि राज्य के बारे में चिंता करते तो आज बिहार का पुरा सिस्टम हीं इस प्रकार ध्वस्त नहीं होता।
      राजद प्रवक्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार में शामिल बिहार के मंत्री हों या बिहार सरकार के मंत्री हों इनकी सारी उर्जा और समय तो लालू प्रसाद जी और तेजस्वी यादव जी के परिवार को गाली देने में हीं खर्च हो जाता है तो वे सरकार का काम क्या करेंगे? जिसकी वजह से आज सारा ‘‘सिस्टम हीं कोलैप्स’’ हो गया है। कहीं पुल जलसमाधि ले रहा है तो कहीं सड़क धंस जा रहा है। मात्र तीन सप्ताह के अन्दर अभी तक सत्रह पुल धाराशाई हो चुका है। अब तो स्थिति यह हो गई है कि एनडीए शासनकाल में बने पुलों से होकर गुजरने में भी लोग डरने लगे हैं। अभी कुछ दिन पहले हीं उद्घाटन किया गया नालन्दा के कन्वेंशन हॉल के अन्दर पानी भर गया है। योजना को समय पर पुरा करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को कार्य एजेंसी के कर्मचारियों से आरजू-मिन्नत करनी पड़ रही है। राज्य में पुलिस और प्रशासन का कोई खौफ है हीं नहीं। दिनदहाड़े हत्या, रेप, लूट, बैंक लूट, डकैती, छेड़खानी और अपहरण जैसी घटनाएं अब सामान्य बात हो गई है। अब तो दिनदहाड़े घर में घुसकर हत्या कर अपराधी आराम से चले आ रहे हैं। आज भी वैशाली के जिला मुख्यालय हाजीपुर में एक प्रोपर्टी डीलर को गोली मार दी गई और मोतीहारी के एक निजी बैंक से लाखों रुपए लूट लिए गए।
      राजद प्रवक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार पर लम्बे-चैड़े तकरीरें करने वाले एनडीए नेताओं की सरकार में भ्रष्टाचार अब व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। व्यवस्था की भ्रष्ट आचरण से तंग आकर विन्दाल गुप्ता नामक एक व्यक्ति ने कल मुजफ्फरपुर समाहरणालय में अपने शरीर पर मिट्टी छिड़क कर आग लगा लिया जिसकी आज मृत्यु हो गई। पर एनडीए नेताओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है चूंकि वे लालू जी और तेजस्वी जी के दायरे से बाहर आ हीं नहीं सकते।
        राजद प्रवक्ता ने कहा कि अजीब विडंबना है कि अठारह साल से सत्ता में बैठे लोग अपनी हर विफलता पर विपक्षी दलों से सवाल पूछते हैं और अपनी नाकामियों का ठीकरा मात्र सत्रह महीने तक सरकार में शामिल दल के उपर फोड़ते हैं।

 

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