दिव्यांगता के बावजूद गुरनाम और दीपेन ने दिया जिंदगी को जीवटता का संदेश,गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड के प्रेसिडेंट गुरनाम सिंह मथारू और सेक्रेटरी दीपेन गांधी का दिव्यांग क्रिकेट के प्रति समर्पण करता है प्रभावित
दिव्यांगता के बावजूद गुरनाम और दीपेन ने दिया जिंदगी को जीवटता का संदेश
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड के प्रेसिडेंट गुरनाम सिंह मथारू और सेक्रेटरी दीपेन गांधी का दिव्यांग क्रिकेट के प्रति समर्पण करता है प्रभावित
पीसीसीआई अध्यक्ष सुरेंद्र लोहिया और डीसीसीआई के महासचिव रविकांत चौहान की दिव्यांग क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की भावना हमें प्रेरित और ऊर्जस्वित करती है: दीपेन गांधी
✍️ डॉक्टर गणेश दत्त पाठक
अहमदाबाद :भारत में क्रिकेट को एक समृद्ध खेल माना जाता है। लेकिन दिव्यांग क्रिकेट के खिलाड़ी को संसाधनों की चुनौती का सामना करना पड़ता है। गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड के अध्यक्ष गुरनाम सिंह मथारू और सचिव दीपेन गांधी स्वयं दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी रहे हैं। शुरुआती दौर में स्वयं के खर्चे पर दिव्यांग स्पर्धाओं में भाग लेने वाले इन लोगों ने दिव्यांग खिलाड़ियों की मदद के लिए गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड का गठन किया। यह संस्था दिव्यांग क्रिकेट के उत्थान के लिए समर्पित प्रयास कर रही है।
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड के अध्यक्ष गुरनाम सिंह मथारू और सचिव दीपेन गांधी, जो स्वयं से दिव्यांग हैं। गुरनाम सिंह मात्र 8 माह की उम्र में दवा के रिएक्शन से पोलियोग्रस्त हो गए। 12 साल की उम्र में उनके पैर का भी ऑपरेशन हुआ। कैलिपर्स भी लगे। फिर भी उनका बाया पैर नाकाम ही रहा। वहीं दीपेन गांधी एक साल की उम्र में अपने घर के पास खेलते समय निकट की फैक्टरी में दुर्घटनाग्रस्त हो गए। पांच साल तक वे लगातार हॉस्पिटल में रहे। 22 ऑपरेशन हुए। फिर भी दिव्यांगता बनी रही।आज गुरनाम सिंह, जहां पी ई बी इंजीनियरिंग के उद्यम के माध्यम से अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं वहीं दीपेन गांधी ने इंजीनियरिंग कर अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में बतौर मैनेजर कार्यरत हैं। लेकिन दोनों को क्रिकेट से बेहद लगाव रहा।गुरनाम सिंह जहां 1993 से दिव्यांग क्रिकेट खेल रहे हैं। वहीं दीपेन 1998 में गुजरात टीम में शामिल हुए। गुरनाम सिंह ने गुजरात दिव्यांग क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया। दीपेन इंग्लैंड गई भारतीय टीम में शामिल रहे।दीपेन पांच देशों के अंतराष्ट्रीय मुकाबले में भारतीय दिव्यांग टीम के उपकप्तान भी बने।
शुरुआती दौर में इन्हें दिव्यांग क्रिकेट स्पर्धाओं में जाने के लिए भी स्वयं के स्तर पर खर्चे करने पड़ते थे। संसाधन की कठिनाइयां मनोबल को तोड़ती थी। इसलिए इन लोगों ने मिलकर गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड की नींव रखी। पंकज सोनी, जिग्नेश धाबी, कमलेश पटेल का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। ताकि दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ियों को सहयोग दिया जा सके। प्रेसिडेंट गुरनाम सिंह बताते हैं कि कभी हमलोग ट्रेन की जनरल बोगी में दिव्यांग स्पर्धाओं में भाग लेने जाते थे। आज हमारे दिव्यांग खिलाड़ी एसी बोगी में जा रहे हैं सपना उन्हें हवाई जहाज से भेजने का है। साथ ही, उन्हें प्रशिक्षण के लिए उचित बुनियादी संरचना के विकास का हमलोग प्रयास कर रहे हैं ताकि हमारे दिव्यांग खिलाड़ी अंतराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं तक में अपना परचम लहरा सकें।
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड ने अहमदाबाद में कई दिव्यांग क्रिकेट स्पर्धाओं का आयोजन किया। जिसमें सूरत के हजीरा में 2013 में आयोजित नाइट दिव्यांग क्रिकेट टूर्नामेंट विशेष तौर पर उल्लेखनीय है। हाल ही में अहमदाबाद में इंग्लैंड भारत दिव्यांग क्रिकेट स्पर्धा महत्वपूर्ण रही है। सरकारी मदद तो कभी मिली नहीं। डिफरेंटली क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया यानी डीसीसीआई(बीसीसीआई सपोर्टेड बॉडी) के माध्यम से सहायता मिलती रही है। कुछ समाज के लिए संवेदना से युक्त लोगों से डोनेशन मिलता रहा है।
गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन फॉर डिसेबल्ड के प्रेसिडेंट गुरनाम सिंह मथारु ने कहा कि पीसीसीआई के प्रेसिडेंट सुरेंद्र लोहिया और डीसीसीआई के महासचिव रविकांत चौहान दिव्यांग क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं। इस संदर्भ में उनका निरंतर मिलता सहयोग हमें प्रेरित और ऊर्जस्वित करता रहता है। डिफरेंटली एबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के प्रेसिडेंट राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि गुरनाम सिंह और दीपेन गांधी का दिव्यांग क्रिकेट के प्रति समर्पित भाव हमें भी प्रेरित करता रहता है।दिव्यांगता के बावजूद गुरुमान सिंह मथारू और दीपेन गांधी ने अपने सद्प्रयासों से जिंदगी को जीवटता का संदेश दिया है, जो दिव्यांगजनों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन जाता है।
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