जयपुर: प्रदेश में 225 वर्ग मीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भू-खण्डों सहित औद्योगिक क्षेत्र में 500 वर्ग मीटर अथवा अधिक क्षेत्रफल के भू-खण्डों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली होगी अनिवार्य -डॉ. सुमित शर्मा
*भू-खण्डों में सैटबैक क्षेत्र में भू-गर्भ का जल स्तर बढाने हेतु वाटर हार्वेस्टिंग
बिहार न्यूज़ लाईव जयपुर डेस्क: जयपुर/(हरिप्रसाद शर्मा)राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी कर प्रदेश में वर्षा के पानी द्वारा भू-जल स्तर बढ़ाने के सम्बन्ध में राज्य जल नीति के अनुसार वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण हेतु भवन विनियम 2020 की विनियम 10.11.1 में वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन के आवश्यक प्रावधान अनुसार 225 वर्गमीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भू-खण्डों में सैटबैक क्षेत्र में भू-गर्भ का जल स्तर बढाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग इकाई एवं संरचना निर्मित करने का प्रावधान अनिवार्य किया है। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्रों में रीको भवन विनियमन 2021 के अनुसार 500 वर्ग मीटर एवं अधिक क्षेत्रफल के भू-खण्डों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण किया जाना अनिवार्य है।
वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण होने पर ही जारी होगा अनापत्तिऔरअधिवास प्रमाण-पत्र
शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण उसके मालिक अथवा उसमे रहवास करने वाले व्यक्ति द्वारा करवाया जायेगा। जब तक भवन के मालिक या रहवासी द्वारा वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण नहीं करवाया जाता है, तब तक संबंधित नगर निकाय नगर निगम, परिषद एवं पालिका द्वारा भवन में नये जल कनेक्शन के लिए अनापत्ति प्रमाण-पत्र एवं अधिवास प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 238 (7) के प्रावधान अनुसार ऐसे दोषी भवन मालिकों के विरुद्ध कारावास अथवा जुर्माने की कार्यवाही के लिए सक्षम न्यायालय में चालान किया जा सकता है।
वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण नहीं करने वालों को पेयजल कनेक्शन नहीं होगा जारी
शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा बहुमंजिला भवनों में पेयजल कनेक्शन जारी किये जाने की नीति के अनुसार राजस्थान भवन विनियम 2020 के प्रावधानों के अनुसार वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण किया जाना अनिवार्य होगा। इसकी पालना नहीं होने की स्थिति में पेयजल कनेक्शन जारी नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 225 वर्ग मीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भवनों में पेयजल कनेक्शन स्वीकृति की प्रक्रिया में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण के उपरान्त ही पेयजल कनेक्शन जारी किया जायेगा।
औद्योगिक श्रेणी के पेयजल कनेक्शन हेतु मौके पर जाकर होगा प्रमाणीकरण
शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण का पेयजल कनेक्शन हेतु स्वीकृति प्रक्रिया में मौके पर सम्बन्धित कनिष्ठ अभियन्ता द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में 100 प्रतिशत निरीक्षण कर प्रमाणीकरण किया जायेगा। सहायक अभियन्ता द्वारा 40 प्रतिशत, अधिशाषी अभियन्ता द्वारा 5 प्रतिशत एवं अधीक्षण अभियन्ता द्वारा 2 प्रतिशत पेयजल कनेक्शन आवेदनों पर निरीक्षण कर प्रमाणीकारण सुनिश्चित किया जायेगा। प्रमाणीकरण पेयजल कनेक्शन आवेदन पत्रावली में संलग्न करना आवश्यक होगा। उन्होंने बताया कि यह प्रावधान विभिन्न विभागों एवं संस्थानों के डिपोजिट कार्य पर भी प्रभावी होंगे। साथ ही रीको क्षेत्र में औद्योगिक श्रेणी के पेयजल कनेक्शन के लिए स्वीकृति प्रक्रिया में मौके पर इसका निरीक्षण कर प्रमाणीकरण किया जाए।
उल्लेखनीय है कि क्रेन्दीय भूमि जल प्राधिकरण द्वारा जारी डायनमिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्सेज इंडिया 2023 रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल 302 भू-जल ब्लॉक में से 216 भू-जल ब्लॉक (71 प्रतिशत) अतिदोहन श्रेणी में है।
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