मधेपुरा : जिला प्रशासन पर लगा दबंगई का आरोप, निजी जमीन पर जबरन करवाया जा रहा है निबंधन भवन निर्माण….
: कोर्ट के आदेश का भी उड़ाया जा रहा है माखौल,पीड़ित भू धारी ने लगाया न्याय की गुहार :
: अधिकारी ने दी सफाई कहा कोर्ट के आदेश का किया जा रहा है अध्यन :
बिहार न्यूज़ लाईव मधेपुरा डेस्क: जिला संवाददाता रंजीत कुमार
मधेपुरा जिला प्रशासन पर लगा दबंगई का आरोप, निजी जमीन पर जबरन हो रहा है निबंधन भवन का निर्माण, कोर्ट के आदेश का भी उड़ाया जा रहा है माखौल, वहीं भू धारी ने लगाया न्याय का गुहार तो जबरन थाने भू धारी पर करवाया गया फर्जी मुकदमा। जी हां दरअसल एक तरफ जहां मधेपुरा के लोग जमीन के मामले में भू माफिया से त्रस्त और परेशान हैं तो वहीं अब जिला प्रशासन भी लोगों के निजी जमीन पर जबरन कब्जा जमा रही है। मामला मधेपुरा रजिस्ट्री कचहरी के भवन निर्माण से जुड़ा है। वहीं इस संबंध में पीड़ित मानिकपुर पंचायत के पूर्व मुखिया कामेश्वर यादव ने आज प्रेस वार्ता कर जिला प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी निजी जमीन का खाता हाल सर्वे में बिहार सरकार हो गया था।
उस जमीन पर जनवरी 2023 में भवन निर्माण विभाग द्वारा निबंधन कार्यालय के लिए भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ करवाया गया। भू धारी ने बताया कि जब मेरे द्वारा विरोध किया गया तो अधिकारियों ने कहा सूट से ऑर्डर लेकर आओ… और अब जब सूट का ऑर्डर आ चुका है तब भी दिन रात मेरे निजी जमीन पर भवन निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। इस दिशा में पीड़ित भू धारी के पुत्र कि माने तो इस विवाद के कारण उनका पूरा परिवार उलझा हुआ है। जब कोर्ट का ऑर्डर मेरे पक्ष में आया तब भी प्रशासन के द्वारा दबंगई दिखाते हुए निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। जब मेरे पिता ने काम रोकने और जमीन वापस करने के दिशा में कोर्ट के आदेश को लागू करवाने की गुहार डीएम, एसडीएम, डीसीएलआर आदि अधिकारियों से लगाने गए और उन्हें आवेदन देने गए तो उन्हें निर्माण स्थल पर काम रोकने और फर्जी मारपीट के मामले में फसाने की कोशिश की जा रही है,सदर थाने में फर्जी मुकदमा भी दर्ज करवाई गई है।
वहीं इस संबंध में जब डीएम विजय प्रकाश मीना से जिला प्रशासन का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो जिला प्रशासन के तरफ़ रजिस्टार श्री यशपाल ठाकुर ने बताया कि वे फिलहाल न्यायालय के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं और जिला प्रशासन अपील में भी जाएगी। उन्होंने ऑफ कैमरा कामेश्वर यादव के दस्तावेज को भी फर्जी बताया। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर न्यायालय के आदेश के बावजूद भी विवादित स्थल पर निबंधन भवन का निर्माण कार्य करना क्या न्यायोचित है।
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