राकेश कुमार गुप्ता/पटना। भारतीय जनता पार्टी का थिंक टैंक बहुत ही समझदारी के साथ फूंक- फूंक के कदम बढ़ा रही है। बिहार के सहयोगी के साथ कोई भी जल्दीबाज़ी करते नजर नहीं आ रही है। लेकिन पार्टी के चाणक्य अमित शाह चाचा और भतीजा दोनों से परस्पर समबन्ध बनाये हुए है। लोजपा (रा) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को संतुलित करने के लिए उनके चाचा और पार्टी के दूसरे गुट रालोजपा के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस का कद बढ़ाने की तैयारी हो रही है।भाजपा की रणनीति अगर व्यवहार में उतरी तो पारस जल्द ही किसी राजभवन में नजर आएंगे।लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का कद मोदी 3.0 में बढ़ा है। हालांकि, फिर भी बीते कुछ समय से वे ऐसे बयान दे रहे हैं, जो भाजपा के लिए परेशानियां खड़ी कर रहे हैं. अब मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि चिराग को काबू में करने के लिए भाजपा उनके चाचा पशुपति पारस को कोई बड़ा पद दे सकती है।
पशुपति पारस को क्या बड़ा पद मिलेगा?
सूत्रों के अनुसार, किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है। राजभवन के अलावा उनके लिए दूसरी जगह की भी पहचान हो रही है।पशुपति पारस को किसी केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। भाजपा कि रणनीति है कि पशुपति पारस को चिराग जितना बड़ा पद मिल जाएगा, तो चिराग कंट्रोल में आ सकते हैं। पशुपति का कद बढ़ाकर भाजपा ये संदेश देना चाहती है कि चिराग सरकार के अहम फैसलों की खिलाफत न करें, वरना उनके पास दूसरा विकल्प भी है। दूसरी तरफ चिराग को समझाया जा रहा है कि एनडीए की रीति नीति की परिधि में ही वे अपनी वाणी और गतिविधियों को नियंत्रित रखें। उसी में उनकी भलाई है।
धैर्य का इनाम मिल सकता है
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में NDA ने पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दी थी। इस पर पशुपति पारस नाराज भी हुए लेकिन वे NDA में बने रहे। अब पशुपति पारस को उनके धैर्य का इनाम मिल सकता है। हाल में पशुपति पारस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, इसके बाद से ही उन्हें बड़ा पद मिलने के कयास तेज हो गए हैं।
चिराग ने किन फैसलों की खिलाफत की?
पिछले कुछ दिनों में चिराग पासवान ने केंद्र सरकार से अलग स्टैंड लिया है। पहले वक्फ बिल और फिर लैटरल एंट्री का विरोध किया. इसके अलावा, चिराग ने सुप्रीत कोर्ट के उस फैसले का भी विरोध किया, जिसमें SC और ST कोटा में सब कैटिगरी और क्रीमी लेयर बनाने की बात कही गई थी. इसके बाद से ही ये मैसेज गया कि चिराग गठबंधन की सरकार में अपने तेवर दिखा रहे हैं। उनके इन बयानों के बाद INDIA गठबंधन में जाने के कयास भी लगे थे।
पिछले कुछ दिनों में चिराग पासवान ने केंद्र सरकार से अलग स्टैंड लिया है। पहले वक्फ बिल और फिर लैटरल एंट्री का विरोध किया. इसके अलावा, चिराग ने सुप्रीत कोर्ट के उस फैसले का भी विरोध किया, जिसमें SC और ST कोटा में सब कैटिगरी और क्रीमी लेयर बनाने की बात कही गई थी. इसके बाद से ही ये मैसेज गया कि चिराग गठबंधन की सरकार में अपने तेवर दिखा रहे हैं। उनके इन बयानों के बाद INDIA गठबंधन में जाने के कयास भी लगे थे।
चिराग की भी अनदेखी नहीं
वैसे तो भाजपा चिराग से नजदीकी बना कर रखना चाहती है। लेकिन, वह उनके युवा जोश और महत्वाकांक्षा की अनदेखी भी नहीं कर रही है। इसलिए चिराग को इशारे में समझा दिया गया है कि वे जिन पांच सांसदों के बल पर इतरा रहे हैं, वह स्थायी नहीं है।पांच में से तीन सांसदों के राजनीतिक जीवन की शुरुआत लोजपा से नहीं, एनडीए के दो घटक दलों-भाजपा और जदयू से हुई है। वैशाली की लोजपा सांसद वीणा देवी का जदयू-भाजपा से जुड़ाव रहा है। उनके पित दिनेश प्रसाद सिंह जदयू के एमएलसी हैं।समस्तीपुर की सांसद डॉ. शांभवी चौधरी जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री डॉ. अशाेक चौधरी की पुत्री हैं। खगड़िया के सांसद राजेश वर्मा की राजनीति की शुरुआत भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से ही हुई है।
पिछले दिनों पशुपति ने अमित शाह से की थी मुलाकात
बता दें कि, पशुपति पारस पिछले कुछ महीनो से राजनीति में हाशिए पर पड़े हुए हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए भी बीजेपी ने उन्हें बिहार में एक भी सीट लड़ने को नहीं दी थी। इसे लेकर पशुपति पारस ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी मगर फिर भी वह एनडीए में बने हुए हैं। पिछले दिनों पशुपति पारस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी दिल्ली में मुलाकात की थी, जिसके बाद इस बात को बल मिला कि जल्द ही पारस का कद बढ़ाया जा सकता है। उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल या केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।