परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय आवश्यक

Rakesh Gupta
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•जिला स्वास्थ्य समन्वय समिति का हुआ उन्मुखरीकरण

छपरा। जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने के उद्देश्य से अंतर विभागीय जिला समन्वय समिति का उन्मुखीकरण किया गया। जिसमे सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को समुदाय स्तर तक पहुँचाने में अंतर विभागीय समन्वय बेहद जरूरी है। सभी विभाग अपने दायित्वों का निर्वहन कर परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने में सहयोग करें। तभी परिवार नियोजन कार्यक्रम के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन की सेवाएं गरीब और वंचित परिवारों तक पहुँचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। जिला स्वास्थ्य समिति में पीएसआई इंडिया के सहयोग से यह बैठक आयोजित किया गया था। बैठक में स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, जीविका और सहयोगी संस्था पीएसआई इंडिया, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, पिरामल स्वास्थ्य के प्रतिनिधि शामिल थे।

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन कि सेवाएं :

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इस बैठक का मुख्य उद्देश्य शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन की सेवाओं को उपलब्ध कराना है। परिवार नियोजन में अंतर विभागीय समन्वय व्यापक और प्रभावी देखभाल प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य, समेकित बाल विकास परियोजना, पंचायती राज, जीविका जैसे विभिन्न विभार्गों की सेवाओं को एकीकृत करके, कार्यक्रम परिवार नियोजन के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं।

आईसीडीएस को जिम्मेदारी :

आईसीडीएस विभाग परिवार नियोजन पहलों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और समुदायों के साथ जुड़कर। यहाँ बताया गया है कि विभाग परिवार नियोजन कार्यक्रमों में कैसे योगदान देता है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं को गृह भ्रमण के दौरान या विभिन्न समुदाय आधारित गतिविधियों यथाः गोदभराई, अन्नप्रासन, वजन दिवस, राशन वितरण आदि, के अवसरों का उपयोग परिवार नियोजन, प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक के बारे में शिक्षित करने में कर सकते हैं।

परामर्शः परिवार नियोजन विकल्पों और प्रसवोत्तर गर्भनिरोधक पर व्यक्तिगत और समूह परामर्श प्रदान करें।

रेफ़रलः परिवार नियोजन सेवाओं के लिए महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाओं में रेफर करें और फ़ॉलो-अप सुनिश्चित करें।

किशोरावस्था फ़ोकसः किशोर लड़कियों को प्रजनन स्वास्थ्य और गर्भावस्था में देरी के महत्व के बारे में शिक्षित करें।

जीविका परिवार नियोजन में सहयोग कर सकती है:

पीएसआई इंडिया के एफपीसी राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि जीविका की पहुंच समाज के बहुत बड़े हिस्से तक है विशेषकर महिलाओं के बीच। जीविका आर्थिक रूप से कमजोर परिवौरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसी क्रम में वह महिला समूहों की बैठकों में स्वास्थ्य संबंधित जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करती है। इन बैठकों से यदि परिवार नियोजन का मातृ स्वास्थ्य, शिशु स्वास्थ्य एवम पोषण पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभावों पर भी चर्चाएं की जाए तो इसका परिणाम सुखद होगा।
इससे ना केवल परिवार नियोजन में सुधार होगा अपितु मातृ और शिशु स्वास्थ्य एवम पोषण की स्थिति में भी सुधार लाया जा सकता है।

पंचायती राज विभाग निभाए जिम्मेदारी:

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि जनप्रतिनिधियों की अपने अपने क्षेत्र में बहत प्रभावशीलता एवम विश्वसनीयता होती है। जिसका उपयोग परिवार नियोजन संबंधित जागरूकता बढ़ाने में भी किया जा सकता है। साथ ही उनके द्वारा अपने क्षेत्र में परिवार नियोजन की सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए विशेष कैंपों का आयोजन भी किया जा सकता है विशेष कर अस्थाई साधनों के लिए। इस बैठक में सीएस डॉ सागर दुलाल सिन्हा, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीसीएम ब्रजेन्द्र कुमार सिंह, डीपीसी रमेशचंद्र कुमार, पीएसआई इंडिया के प्रतिनिधि राजीव श्रीवास्तव, सीफार के डीसी गणपत आर्यन, पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि समेत अन्य मौजूद थे।

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