अंकित सिंह,भरगामा(अररिया) दीपावली का पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है,वैसे-वैसे कुम्हारों के चाक की रफ्तार में भी तेजी आ रही है. पर्व को लेकर मिट्टी का बर्तन बनाने वाले कुम्हार दिन रात दीया बनाने में जुटे हुए हैं. कुम्हारों ने बताया कि उनके पास पुरखों से मिली मिट्टी के बर्तन और दीया बनाने की कला है,जो उनके रोजी-रोटी का बड़ा सहारा है. बता दें कि पुरे भरगामा प्रखंड भर में दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दियों की अच्छी खासी खपत होती है. पर्व को देखते हुए कुम्हार मिट्टी के दीए,खिलौने,मूर्तियां,बर्तन आदि बनाने में रात-दिन एक किए हुए हैं और शीघ्रता से अपना कार्य पूरा करने में जुटे हुए हैं. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार रंजीत पंडित बताते हैं कि यह हमारा पुश्तैनी धंधा है,इसी से जीविका चलती है,लेकिन अब बाजारों में रंगीने लाइटे आ गई है,जिससे लोगों ने दीयों का उपयोग कम कर दिया है,फिर भी आस है कि इस दिपावली पर दियों की अधिक बिक्री होगी. वहीं पप्पू पंडित ने बताया कि सालों से यह कार्य कर रहे हैं. दीपावली से पहले बिक्री बहुत कम रहती है,लेकिन दीपावली पर होने वाली बिक्री का इंतजार रहता है. इस बार दीपावली पर दियों की मांग बढ़ने की उम्मीद है,जिसे देखते हुए अधिक से अधिक दिये बना रहे हैं. वहीं टुनटुन पंडित ने कहा कि रंगीन लाइटों से घर सजाया जा सकता है,लेकिन पूजा-पाठ,धार्मिक अनुष्ठान के लिए दियों का हीं उपयोग किया जाता है.
कलरफुल और डिजाइन वाले बनाए जा रहे दिए
मिट्टी के दिये बना रहे प्रमिला देवी ने बताया कि इस बार दीपावली पर दियों की मांग बढ़ने की उम्मीद है,हम इस बार सामान्य दियों से लेकर रंग-बिरंगे आकर्षक डिजाइन के दीपक भी तैयार कर रहे हैं. उन्होनें कहा कि हम ऐसे दिए तैयार कर रहे हैं,जो लोगों को आकर्षित करे.
ये रहेगी कीमत
मिट्टी का दीये 30 रुपए में 50,डिजाइनर दिये 5 रूपए का एक है. बाजार में मिट्टी के दिए के साथ हीं डिजाइनर दिए की भी खास मांग है और चाइना के आइटम पंसद करने वाले लोग डिजाइर दिये को खास पंसद करते हैं. इसके साथ हीं खिलौने,गुल्लक,गुड्डा-गुड़िया,हाथी घोड़े के भी सामान्य रेट तय किए गए हैं.
लागत के अनुसार नहीं मिल पाती कीमत
नाम नहीं छापने के शर्त पर मिट्टी के दीये बना रहे कारीगर ने कहा कि आज हम लोगों की कला को जीवित रखना भी हमारे समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. क्योंकि आज के परिवेश में युवा पीढ़ी इस व्यवसाय से दूर हो रही हैं. क्योंकि आज यह व्यवसाय किसी प्रकार से लाभप्रद साबित नहीं हो रहा है. कारीगर ने कहा कि 800 रुपये प्रति टेलर मिट्टी खरीद कर हम लोग मिट्टी के बर्तन दीये,घड़ा आदि बनाते हैं. मिट्टी की लागत मूल्य के अनुरूप हम लोगों के बनाए गए मिट्टी के पात्रों का पैसा नहीं मिल पाता है. मिट्टी के दीये 80 से 100 रुपये प्रति सैकड़ा बिकता है. इसमें लागत खर्च भी नहीं आ पाता है. सरकार ने भी शहर व ग्रामीण क्षेत्र में कुम्हार समाज के लोगों के लिए कहीं पर भी ऐसी भूमि आवंटित नहीं की है कि जहां की मिट्टी का उपयोग कर इस कला को जीवित रखा जा सके.
प्रमुख की प्रखंड वासियों से अपील,दीपावली के दीये गांव के कुम्हार से खरीदें
प्रखंड प्रमुख संगीता यादव,उप प्रमुख शाहनवाज अंसारी,पूर्व प्रमुख विजय यादव,विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता राकेश रंजन परिहार,भाजपा नेता अशोक सिंह,दीपक कुमार मुन्ना,नित्यानंद मेहता,कौशल सिंह,राजद नेता विजय सिंह यादव,गजेन्द्र यादव,सामाजिक कार्यकर्ता माधव यादव,प्रियंक सिंह,मिहिर मंडल,कुंदन सिंह,धनंजय सिंह,लड्डू यादव,गौरव झा,संजय मिश्रा,आशीष झा आदि ने चाइनीज लाइट भगाओ कुम्हार का दिया जलाओ का नारा बुलंद करते हुए प्रखंड वासियों से अपील की है कि वे दीपावली के पर्व पर स्थानीय कुम्हारों से मिट्टी के दीये खरीदें.
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