अंकित सिंह,भरगामा(अररिया) भरगामा. प्रखंड भर में शनिवार को धूमधाम से गोवर्धन पूजा मना. लोगों ने घरों में गायों को फूल,माला आदि से सजाकर उनकी पूजा की और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की.
पौराणिक मान्यता के मुताबिक देवराज इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा करने की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया. जब इंद्र को इस बात का पता चला तो उन्होंने पूरे गोकुल गांव को नष्ट करने व कृष्ण को अपनी शक्तियों का परिचय देने के लिए भारी बारिश करा दी.
गांव में हाहाकार मच गया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया और ग्रामीणों की रक्षा की. सात दिन तक लगातार इंद्र ने अपना कहर बरपाया,लेकिन किसी भी ग्रामीणों को क्षति नहीं पहुंची. तब से भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन के नाम से भी जाना जाता है.
गोवर्धन पूजा को श्रद्धालुओं ने अन्नकूट महोत्सव के रूप में भी मनाया. जिसमें विशेष रूप से कढ़ी,चावल,मिठाई और अन्य कई व्यंजनों का भोग लगाकर गोवर्धन पर्वत के साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की. पूजा के बाद भक्तों ने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कर जयकारे लगाए. परिक्रमा के दौरान भक्तजन गीत गाते हुए और मंत्रोच्चार करते हुए भगवान श्रीकृष्ण से आशीर्वाद की कामना करते नजर आए.
गोवर्धन पूजा का यह पर्व हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और प्रेम की प्रेरणा देता है. साथ हीं यह पर्व समाज को यह संदेश देता है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उनकी पूजा करना आवश्यक है,ताकि मानवता पर प्रकृति का आशीर्वाद बना रहे.