छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रमेन्द्र कुमार बाजपेई की अध्यक्षता में जयप्रकाश नारायण के दर्शन में विकसित भारत के अवधारणा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न
छपरा :जयप्रकाश विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में कुलपति प्रोफेसर. प्रमेन्द्र कुमार बाजपेई की अध्यक्षता में जयप्रकाश नारायण के दर्शन में विकसित भारत के अवधारणा विषय पर दो दिवसीय (20-21 नवम्बर) राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ । यह आयोजन जयप्रकाश अध्ययन केंद्र एवम राजनीति विज्ञान विभाग म के संयुक्त तत्वाधान में किया गया ।
इस संगोष्ठी का उद्घाटन जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पमरेंद्र कुमार बाजपेयी , मुख्य सूचना आयुक्त त्रिपुरारी शरण , ICSSR के सदस्य सचिव डॉ धनन्जय सिंह , लेखिका एवं स्तम्भकार सुजाता प्रसाद एवं महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविदयालय के कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव के द्वारा संयुक्त रूप से लोकनायक के प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रवज्जलित कर किया गया ।इस संगोष्ठी में देश के प्रतिष्ठित TISS, मुंबई से प्रोफेसर. अश्विनी कुमार, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से प्रोफेसर राम कृष्ण प्रधान जैसे ख्यातिप्राप्त वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन 21 नवम्बर को हुआ। इन दो दिनों में देशभर के जानेमाने राजनीतिज्ञ ,लेखक , इतिहासकार एवं शोधार्थियों ने भाग लिया ।
इस संगोष्ठी में 6 तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ जिसमें प्रोफेसर , असिस्टेंट प्रोफेसर एवं लगभग 200 शोधार्थियों ने मुख्य रूप से अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया ।
सभी वक्ताओं ने मुख्य रूप से जयप्रकाश नारायण के विचारों को आज के समय के प्रासंगिकता पर अपनी बात रखीं । भारत को 2047 तक विकसित भारत राष्ट्र बनाने के लिए जयप्रकश नारायण के विचारों को अपनाना होगा ।
संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर. विभू कुमार ने अपने समापन भाषण में कहा कि शोधार्थियों के सहयोग से ऐसे आयोजन सफल होते है एवं इस संगोष्ठी से भविष्य में और बड़े आयोजन कराने कि प्रेरणा मिलती है । संगोष्ठी के संयोजक प्रो संजय कुमार ने सबका धन्यवाद करते हुए संगोष्ठी की सफलता सहभागियों के प्रतिभागिता को दिया है ।
और अंत में इस संगोष्ठी का धन्यवाद ज्ञापन पूर्व कुलसचिव प्रो रणजीत कुमार ने किया ,उन्होंने अपने भाषण में जेपी को याद करते हुए कहा कि आजतक 1975 के बाद आपातकाल जैसे स्तिथि नही आने का श्रेय जयप्रकाश की सम्पूर्ण क्रांति को जाता है ।
Comments are closed.