*देश में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ रही
*वादकारियों के लिए भी यह न्याय सुलभ बनाने में सहायक
*अजमेर जिले के लगभग 30 लाख निवासियों को लाभ मिलेगा
*चंडीगढ़ के बाद देश का दूसरा ऐसा भवन – रावत
(हरिप्रसाद शर्मा) अजमेर/ राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव ने रविवार को अजमेर जिले में नवनिर्मित अत्याधुनिक जिला न्यायालय परिसर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह और न्यायाधीश महेन्द्र कुमार गोयल भी उपस्थित रहे।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव ने कहा कि निष्पक्ष, स्वतंत्र और निर्भीक न्यायिक व्यवस्था किसी भी आधुनिक एवं विकसित समाज के लिए आवश्यक है। उन्होंने इस भवन को तकनीकी दृष्टि से उन्नत, पर्यावरण अनुकूल और मानवीय मूल्यों को समर्पित बताते हुए इसे अजमेर के न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर बताया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ रही है और न्यायिक अधोसंरचना का विकास उसी गति से नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि वे राज्य सरकार से समन्वय कर अधोसंरचना विकास के लिए प्रयासरत हैं और यह भवन उसी दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों को एक ही परिसर में समुचित सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि वादकारियों के लिए भी यह न्याय सुलभ बनाने में सहायक होगा।
उन्होंने तकनीक के उपयोग जैसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-फाइलिंग, रिकॉर्ड डिजिटलीकरण पर बल दिया। उन्होंने बताया कि लगभग एक लाख से अधिक प्रकरण लंबित हैं, जिनमें अधिकतर आपराधिक हैं। उन्होंने समन और वारंट प्रणाली की निगरानी स्वयं कर न्याय प्रक्रिया को गति देने की जानकारी दी। उन्होंने अधिवक्ताओं से पुराने मामलों के शीघ्र निस्तारण में सहयोग की अपील की। मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रीय मध्यस्थता अधिनियम के तहत प्री-लिटिगेशन सेंटरों की स्थापना की जानकारी दी और बताया कि अधिवक्ताओं को मध्यस्थ के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।
न्यायाधीश महेन्द्र गोयल ने कहा कि इस परिसर से अजमेर जिले के लगभग 30 लाख निवासियों को लाभ मिलेगा। पहले जहां 41 न्यायिक अधिकारी अलग-अलग स्थानों पर कार्यरत थे, अब वे एकीकृत परिसर में कार्य करेंगे। उन्होंने अजमेर के न्यायिक इतिहास का उल्लेख करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।
न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह ने भवन को स्वच्छ, सुंदर और भव्य बनाए रखने की अपील की। साथ ही न्यायिक व्यवस्था को न्यायाधीश और अधिवक्ताओं के समन्वय का परिणाम बताया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश संगीता शर्मा ने कहा कि यह भवन अजमेर के न्यायिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत है। 18 फरवरी 2018 को नींव रखे गए इस जी+5 भवन में 74 न्यायालयों की सुविधा, अधिवक्ता कक्ष, बंदी लॉकअप, डिजिटल रिकॉर्ड रूम, ई-कोर्ट मानकों का पालन, वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा प्रणाली और समावेशी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
बार एसोसिएशन अध्यक्ष अशोक रावत ने इसे चंडीगढ़ के बाद देश का दूसरा ऐसा भवन बताया। उन्होंने कहा कि यह भविष्य में एक मिसाल बनेगा। यह भवन 150 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है और 54 न्यायालयों का संचालन प्रारंभ किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रकाश चंद्र मीणा ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, अधिवक्ता, न्यायिक अधिकारी व गणमान्य जन उपस्थित रहे।