अंकित सिंह,अररिया:जीविका दीदियों को समूह में बचत और छोटे-छोटे रोजगार या जीविकोपार्जन से संबंधित गतिविधियों से जोड़ने के बाद अब उन्हें उद्यमी बनाने की कोशिश भी शुरू हो चुकी है। इसके तहत विभिन्न प्रकार के उद्यम जीविका दीदियों द्वारा किए जा रहे हैं। उन्हीं में एक नाम है महिला कृषि उद्यमी का। यह एक ऐसा प्रयास है जो जीविका दीदियों को अपना व्यवसाय बड़े स्तर पर करने और अधिक मुनाफा कमाने का मौका देता है।
इसके अन्तर्गत जीविका दीदियों को खाद-बीज की दुकान और कृषि संबंधी उपकरणों की बिक्री,डिजिटल बैंकिंग,कृषि संबंधी सलाह किसान दीदियों को दी जाती है। इन व्यवसायों को व्यवस्थित और बेहतर ढ़ंग से कैसे चलाया जाए इसके लिए उन्हें 21 दिनों का आवासीय प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जाता है। ताकि उन्हें अपने व्यवसायों को अच्छी तरह से चलाने में कोई दिक्कत नहीं हो। यह प्रशिक्षण एनआईएएम (नेशनल इंस्टीट्यूच ऑफ एग्रीकल्चरल मार्केटिंग) जयपुर के सहयोग से दिया जाता है। इस प्रशिक्षण में दीदियों को काफी विस्तार से इस व्यवसाय के बारे में बताया जाता है।
इसके लिए शैक्षिक योग्यता कम-से-कम मैट्रिक रखा गया है। इस कार्य में सिजेन्टा फाउंडेशन की ओर से जीविका को सहयोग दिया जा रहा है। अररिया जिले में फिलहाल 127 महिला कृषि उद्यमी हैं। सहयोग के तौर पर फिलहाल परियोजना से दीदी को दो किश्तों में 50-50 हजार रुपये देने का प्रावधान है।
जिससे दीदी का व्यवसाय शुरू किया जाता है। साथ हीं दीदी इस व्यवसाय में अपनी ओर से भी पूंजी लगा सकती हैं। कृषि उद्यमी सेवा केन्द्र शुरू करने वाली दीदियों को इस केन्द्र से कई तरह के लाभ मिल रहे हैं। कृषि विभाग और जीविका के संयुक्त प्रयास से उन्हें खाद और बीज का लाइसेंस दिलवाया जा रहा है।
जिससे दीदियां अपना व्यवसाय कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। वो अपने परिवार को आर्थिक मदद भी कर पा रही हैं। कृषि उद्यमी सेवा केन्द्र से जुड़ने वाली दीदियां अनाज की खरीद-बिक्री भी कर सकती हैं। जिससे उनका आर्थिक सशक्तीकरण होगा। दीदियों को आत्मनिर्भर बनने में यह काफी मददगार साबित हो रहा है।