वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में व्याप्त भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों का आक्रोश सोमवार को साफ़ तौर पर देखने को मिला। दर्जनों की संख्या में छात्र-छात्राएँ केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार से मिले और उन्हें एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से छात्रों ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए त्वरित, पारदर्शी और ठोस कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन में कई अधिकारी और कर्मचारी पिछले तीन वर्ष या उससे अधिक समय से एक ही पद पर जमे हुए हैं। उनका कहना है कि इस स्थिति से न केवल कार्यकुशलता प्रभावित हुई है, बल्कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है। छात्रों के अनुसार, नौकरशाही के इस ढर्रे ने विश्वविद्यालय की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर गंभीर असर डाला है। छात्रों ने विशेष रूप से कंप्यूटर सेंटर में हुए कथित घोटाले का मुद्दा उठाया । उनका दावा है कि इस केंद्र में करोड़ों रुपये की वित्तीय गड़बड़ी हुई है। छात्रों का कहना था कि यदि इसकी निष्पक्ष जांच नहीं करवाई गई तो भ्रष्टाचारियों के हौसले और बढ़ेंगे।
छात्र प्रतिनिधि डॉ. कुंवर पुष्पेंद्र प्रताप सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “बीएचयू में लंबे समय से भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ चल रही हैं। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह न केवल छात्रों का, बल्कि पूरे समाज का विश्वविद्यालय प्रशासन से विश्वास खत्म कर देगा।
”डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने कंप्यूटर सेंटर घोटाले को गंभीर अपराध बताते हुए मांग की कि इसकी उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता बनाए रखना किसी भी राष्ट्रीय संस्थान के लिए अनिवार्य है।अश्विनी राय ने नियमों के उल्लंघन की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा, “एक ही पद पर वर्षों तक अधिकारी टिके रहना सीधे-सीधे भ्रष्टाचार को जन्म देता है।
यह प्रणाली के साथ खिलवाड़ है और इसे तत्काल रोका जाना चाहिए।”छात्र नेता शुभम तिवारी ने कहा कि भट्टाचार्य पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जरूरत है आंदोलन करते रहेंगे।अभय सिंह ने छात्रों की ओर से सीधी मांग रखते हुए कहा कि ऐसे सभी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए जो कई वर्षों से पदों पर जमे हुए हैं।छात्र नेता अभय सिंग मिक्कू ने विशेष रूप से ट्रामा प्रभारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद उनके खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
उन्होंने मंत्री से उम्मीद जताई कि इस मामले को प्राथमिकता दी जाएगी।वहीं छात्र नेता प्रफुल्ल पांडेय ने कहा कि बीएचयू जैसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की छवि दागदार हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आंदोलन की राह पकड़ी जाएगी।सरकार और प्रशासन को ज्ञापन सौंपते समय छात्रों ने एक स्वर में कहा कि यदि सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
छात्रों ने कहा कि यह केवल बीएचयू के छात्रों की मांग नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की साख और भविष्य की लड़ाई है। उनका कहना है कि बीएचयू जैसे ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाले संस्थान को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने नहीं दिया जाएगा।मंत्री की प्रतिक्रिया के बारे में छात्रों ने बताया कि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने छात्रों की शिकायतें ध्यानपूर्वक सुनीं और उन्हें आश्वस्त किया कि ज्ञापन में उठाए गए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। हालांकि छात्रों ने कहा कि उन्हें कार्रवाई के ठोस परिणाम देखने की उम्मीद है। सकारात्मक रूप से विश्वविद्यालय तथा आम जन के हित में होगा। ज्ञापन देने वाले छात्रों में प्रमुख रूप से हर्ष तिवारी, अभिषेक कुमार सिंह, हिमांशु राय, शाश्वत चतुर्वेदी, विशाल पासवान सत्यम राय , आशुतोष शुक्ला, आदित्य तोमर, आदि दर्जनों छात्र थे।