अगर तेज प्रताप ने बिहार चुनाव में सहानुभूति कार्ड खेला तो बिगड़ जाएगा तेजस्वी का गेम प्लान

Rakesh Gupta
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अगर तेज प्रताप ने बिहार चुनाव में सिम्पैथी कार्ड खेला तो बिगड़ जाएगा तेजस्वी का गेम प्लान

अंकित सिंह,अररिया:आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बिहार की सियासत बिल्कुल एक नया परिदृश्य में नजर आयेगा। पहली बार लालू परिवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेगा। राजद से निष्कासित होने के बाद तेजप्रताप यादव ने तेजस्वी यादव के खिलाफ ताल ठोक दी है। वे ‘जनशक्ति जनता दल’ के नाम से नया राजनीतिक दल बना चुके हैं। उनका चुनाव चिह्न ब्लैकबोर्ड है। उनकी पार्टी का पोस्टर तेजस्वी के खिलाफ जंग का ऐलान बताया जा रहा है। इससे ये भी पता चलता है कि वे अपने पिता लालू यादव से नाखुश हैं। उनकी पार्टी के पोस्टर में लालू यादव की तस्वीर नहीं है। परिवार और पार्टी से तेजप्रताप बाहर हैं। अब वे जनता की अदालत में अपने लिए इंसाफ की गुहार लगाएंगे। उनके विरोध से तेजस्वी को कितना नुक्सान हो सकता है..? इस सवाल पर डिबेट हो सकता है। लेकिन एक बात तो साफ है कि उनके विरोध के कारण 2019 में राजद जहानाबाद लोकसभा चुनाव हार चुका है। बता दें कि तेजप्रताप यादव के बिहार गठबंधन में सीमांचल की एक मात्र राजनीतिक दल अपना अधिकार पार्टी के शामिल होने पर सीमांचल की सियासत में एक नया भुचाल आने की संभावना प्रबल हो गई है। हालांकि अब तक एआईएमआईएम को मुसलमानों की पार्टी मानी जाती थी,पर सीमांचल की खुद की अपनी पार्टी जो मुस्लिम क़यादत खड़ी करने में एआईएमआईएम का सीधा काट नजर आ रहा है।

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तेज़ प्राप यादव ने एआईएमआईएम को अपने गठबंधन में शामिल करने के लिए अपनी हरी झंडी दिखाई, पर एआईएमआईएम तेजप्रताप यादव के बिहार गठबंधन से नहीं करके तेजस्वी यादव के इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए ढोल बजाकर गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया फिर भी तेजस्वी यादव ने कोई भाव नहीं दिया,अब खुद ओवैसी सीमांचल में अपना दांव लगा रहे हैं। बिहार गठबंधन में तेजप्रताप यादव ने अपना अधिकार पार्टी को शामिल कर दो-दो निशाना साधा है,एक तो मुस्लिम क़यादत खड़ी करने में सहयोग करने और मुसलमानों को अपना अधिकार देने के लिए उनकी बिहार की पार्टी को शामिल करने में एआईएमआईएम का काट माना जा रहा है। हालांकि चर्चा है कि सीमांचल में अपना अधिकार पार्टी के साथ बिहार गठबंधन एलायंस के तहत अपनी सियासी जमीन हमवार करने के जुगार में लगे हैं,और जल्द हीं सीमांचल दौरा करेंगे।

महुआ में राजद के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तेजप्रताप यादव ने ऐलान किया है कि वे महुआ (वैशाली) से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। 2015 में उन्होंने अपना पहला चुनाव महुआ से हीं जीता था। इसलिए वे महुआ को अपनी कर्मभूमि मानते हैं। तेज प्रताप का ये फैसला तेजस्वी के लिए एक चुनौती है। 2020 में तेज प्रताप को महुआ की बजाय हसनपुर (समस्तीपुर) चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया था। फिलहाल वे हसनपुर के विधायक हैं।

तेज प्रताप जब हसनपुर शिफ्ट हुए तो महुआ से राजद ने मुकेश रौशन को उम्मीदवार बनाकर जिताया था। मुकेश रौशन को तेजस्वी का करीबी समझा जाता है। उनका तेज प्रताप से छत्तीस का आंकड़ा है। तेज प्रताप के महुआ से चुनाव लड़ने का मतलब है कि तेजस्वी को खुला चैलेंज। बताया जा रहा है कि तेजप्रताप को राजनीतिक संगठन चलाने का अनुभव नहीं है। वे राजद की जमी जमाई राजनीति का हिस्सा थे। लेकिन,अब कई चुनौतियां उनके सामने हैं। आखिर वे किस वर्ग के मतदाता समूह को अपने पक्ष में गोलबंद करेंगे? वे लालू यादव के पुत्र हैं, यही उनकी राजनीतिक पहचान है। वे लालू यादव की शैली में भाषण करते हैं,वे खुद को अपने पिता की तरह जनता के सामने पेश करते रहे हैं। लेकिन,अब चुनाव मैदान में उन्हीं पिता के दबदबे के खिलाफ लड़ना होगा। फिलवक्त, उनके लिए आसान रास्ता यही है कि वे यादव और मुस्लिम मतों पर अपना ध्यान केंद्रित करें। चर्चा है कि वे माई समीकरण वाले सीटों पर कुछ प्रत्याशी उतार सकते हैं।

अगर ओवैसी के साथ-साथ तेज प्रताप ने भी कुछ वोट काट लिया तो राजद की जीत मुश्किल हो जाएगी।तेज प्रताप के चुनाव लड़ने से बदल जाएगा नैरेटिव जीत-हार की बात तो बाद में आएगी। जैसे हीं तेज प्रताप और उनका गठबंधन चुनाव में उतरेगा, इलेक्शन का नैरेटिव बदल जाएगा। हर जुबान पर एक ही बात होगी,आखिर लालू यादव का बेटा किस वजह से उनके हीं खिलाफ चुनाव लड़ रहा है? लोग तरह-तरह की बातें करेंगे। जो नेता अपने परिवार को एकजुट नहीं रख सका, वो भला राज्य और समाज को कैसे एकजुट रखेगा? जिस गलती के लिए तेज प्रताप को घर और दल से निकाला गया है, है, क्या उसके लिए अकेले वे ही जिम्मेदार हैं? जब समय था, तब इस गलती को सुधारने के लिए परिवार ने क्या किया? हो सकता है कि चुनाव में तेज प्रताप सिम्पैथी कार्ड खेल कर अपने साथ हुई नाइंसाफी को जनता के सामने रखें। अगर, सहानुभूति में कुछ भी वोट मिल गए तो ये राजद के खाते से ही कटेगा। खैर वक्त का इंतजार है देखते हैं आगे किया होगा।

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