करिश्मा का छाया रहा करिश्मा
उम्मीदवार बदला लेकिन
मतदाता के मन नहीं बदले
गजेंद्र कुमार/दरियापुर।सारण के चर्चित परसा विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी डॉ0 करिश्मा राय ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की है। वहीं लाख प्रयासों के बावजूद निवर्तमान विधायक सह जदयू प्रत्याशी छोटेलाल राय को अप्रत्याशित हार की सामना करनी पड़ी है।हालांकि मतगणना के शुरूआती दौर में बैलेट पेपर की गिनती में जदयू आगे हुई तो कई राउंड की गिनती तक आगे चली,लेकिन आगे चलकर पिछड़ना शुरू हो गया।जो अंत तक पिछड़ते चले गए।इस परिणाम को लेकर यदि हम स्थानीय राजनीति के जानकारों की मानें तो कई महत्वपूर्ण कारण सामने आ रहे है।सबसे पहले यदि हम बात करे जदयू प्रत्याशी की तो ये पहले राजद प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते थे।
जिसके बाद राजद में इनकी पकड़ तो मजबूत हो गई थी,परन्तु एक दलों के अधिसंख्य मतदाताओं में इनकी कार्यशैली को लेकर काफी नाराजगी थी।वही इस बार चुनाव के कुछ दिन पहले अचानक जदयू में शामिल हो टिकट लेकर चुनावी मैदान में आ गए।इसके बाद ये एनडीए गुट में अपने प्रति फैले नाराजगी को दूर करने का सफल प्रयास नहीं कर पाए।कई गांवों में ये जनसंपर्क भी नहीं कर पाए थे।हालांकि इनके पुत्र और भाई समेत कई कार्यकर्ता समय की कमी का हवाला देते रहे।
इसके साथ ही पार्टी बदलने के कारण एक तरफ जहां इनके सभी पुराने कार्यकर्ता इनका साथ छोड़ दिए थे, वहीं नए दलों के सभी कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में करने में सफल नहीं हो पाए।इतना ही नहीं दरिहरा में हजारों एकड़ में फैले चंवर से जलनिकास की व्यवस्था नहीं हो सकी।जो किसानों को मायूस कर दिया।
इसके साथ ही जनता इस बार बदलाव का भी मन बना चुकी थी।वही पहली बार चुनावी अखाड़ा में उतरी पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 दारोगा बाबू की पौत्री सह राजद प्रत्याशी डॉ0 करिश्मा राय से किसी को कोई नाराजगी नहीं थी।इनके पार्टी के सभी कार्यकर्ता इनके साथ थे।ये दंत चिकित्सक होने के साथ ही काफी व्यवहारकुशल मानी जाती है।
सभी मतदाताओं से मिलना और पिछले पांच सालों से क्षेत्र में सक्रिय होना भी जीत में काफी सहायक साबित हुआ है।इसके साथ ही जदयू से टिकट कटने से नाराज इनके चाचा सह पूर्व मंत्री चंद्रिका राय का अप्रत्यक्ष सहयोग भी इन्हें काफी मजबूती प्रदान किया है।इस क्षेत्र से सबसे अधिक बार दारोगा बाबू के ही परिवार का कब्जा होने के कारण इस परिवार की अच्छी पकड़ रही है।यही कारण है कि अपने दादा के विरासत को आगे बढ़ाने में राजद प्रत्याशी सफल हो गई है।
