(हरिप्रसाद शर्मा)पुष्कर,अजमेर:तीर्थनगरी पुष्कर का नाम सुनते ही सबसे पहले जो छवि मन में उभरती है, वह यहां के पवित्र सरोवर और ब्रह्मा मंदिर के साथ-साथ मुंह में पानी लाने वाले “मालपुआ” की है। अब से कुछ समय पहले, स्थानीय निवासी गिरिराज वैष्णव को दैनिक भास्कर द्वारा प्रतिष्ठित ‘भास्कर इंडिया प्राइड अवार्ड’ से सम्मानित किया जाना, इस बात का प्रमाण है कि स्वाद की यह विरासत आज भी कितनी महत्वपूर्ण और जीवंत है।
यह सम्मान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि दशकों पुरानी उस परंपरा का है, जिसे गिरिराज वैष्णव के दादा जी ने शुरू किया था। उन्होंने ही सबसे पहले पुष्कर में मालपुआ को एक अनूठी पहचान दी और अपनी रसोई से निकले गरमागरम, देशी घी में तले, और गाढ़े दूध में डूबे मालपुए को तीर्थनगरी का ‘ब्रांड एंबेसडर’ बना दिया।
दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गिरिराज वैष्णव को इस अनूठी पहल के लिए अवार्ड देकर सम्मानित किया है।
वर्तमान समय में भी, गिरिराज वैष्णव न केवल इस पुश्तैनी जायके को संभाल रहे हैं, बल्कि इसे आधुनिकता का पुट देकर देश-विदेश तक पहुंचा रहे हैं। यह उद्यमिता और सांस्कृतिक संरक्षण का एक बेहतरीन उदाहरण है। आज भी, पुष्कर आने वाला हर पर्यटक वैष्णव परिवार के हाथों बने इन मालपुओं का स्वाद लेना नहीं भूलता, जो यह साबित करता है कि कुछ परंपराएं समय के साथ और भी मजबूत होती जाती हैं।
भास्कर समूह द्वारा दिया गया यह सम्मान इस बात की स्वीकृति थी कि किस तरह एक पारंपरिक मिठाई को ब्रांड पहचान में बदलकर, सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सकता है। यह कहानी आज हमें प्रेरित करती है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई जा सकती है।
चौथी पीढ़ी ने सीखा पुश्तैनी हुनर का पाठ
इस गरिमामयी समारोह की सबसे खास बात यह रही कि गिरिराज वैष्णव के साथ उनके दोनों पुत्र, मोहित और सर्वेश्वर, भी दिल्ली में ही मौजूद थे। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिता को सम्मानित होते देखना, वैष्णव परिवार की चौथी पीढ़ी के लिए पुश्तैनी हुनर के सम्मान का पहला और सबसे महत्वपूर्ण पाठ था।
गिरिराज वैष्णव ने अपने दादा द्वारा शुरू की गई मालपुआ की परंपरा को न केवल संभाला, बल्कि उसे आधुनिक पहचान देकर पुष्कर का ‘ब्रांड एंबेसडर’ बना दिया। आज, उनके पुत्र मोहित और सर्वेश्वर इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं।
