सच्चे शिक्षक सिर्फ पेटभरुआ कोर्स नहीं पढ़ाते, वह जीवन जीना सिखाते है : मनोज भावुक

Rakesh Gupta
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” सिर्फ पढ़ाने से नहीं शिक्षकों के आचरण, व्यवहार व जीवन शैली से भी सीखते हैं छात्र। आज मेरे मुँह में जो जुबान है, वह शिक्षकों की दी हुई है। शिक्षक भाषा, बोली, लहजा और आत्मा को गढ़ते है। सच्चे शिक्षक सिर्फ पेटभरुआ कोर्स नहीं पढ़ाते, वह जीवन जीना सिखाते है, रोजमर्रा की समस्याओं से लड़ना-भिड़ना सिखाते हैं। ”

उक्त बातें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ( डायट ) सिवान द्वारा आयोजित व्याख्यान सह एकल काव्य-पाठ व सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भोजपुरी भाषा के विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार मनोज भावुक ने कही।

डायट, सिवान द्वारा विश्व स्तर पर सिवान जिला का नाम रोशन करने वाले भोजपुरी आइकॉन मनोज भावुक के सम्मान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें भावुक ने अपनी जिंदगी व देश-विदेश, सिनेमा-साहित्य के तमाम अनुभवों को शिक्षकों के साथ साझा किया।

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डायट, सिवान में 5 दिवसीय आवासीय शिक्षक प्रशिक्षण के दौरान आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह ने कहा कि श्री भावुक जैसी विभूति को सम्मानित कर हम गर्वान्वित हैं। भावुक जी विश्व स्तर पर अपनी भाषा व अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं, भोजपुरी सिनेमा में भी अपने लेखन से, अपने गीतों से इसकी संस्कृति व मर्यादा की रक्षा कर रहे हैं, मान बढ़ा रहे हैं, यह बहुत बड़ी बात है।लगभग एक हज़ार शिक्षकों से खचाखच भरे डायट के बहुद्देश्यीय हॉल में लगभग दो घँटे तक मनोज भावुक का एकल काव्य-पाठ चला जिसमें उन्होंने हिंदी-भोजपुरी की तमाम रचनायें सुनाकर दर्शकों को कभी हँसाया, कभी रूलाया और कभी सोचने-समझने पर मजबूर कर दिया। गीतकार भावुक अपने नाम के अनुरूप सचमुच भावुक हैं। अपने बोलने के अंदाज से दर्शकों को सम्मोहित कर लेते हैं। यही वजह है कि काव्य-पाठ के बाद भाव-विभोर शिक्षक-शिक्षिकाओं ने देर रात तक उनके साथ सेल्फी ली, संवाद किया।

इस अवसर पर प्राचार्य एस पी सिंह, ओंकार नाथ मिश्रा, संजय यादव, टिप्पू जी, डॉ. जनार्दन सिंह व संस्थान के अन्य पदाधिकारियों, शिक्षकों के अलावा क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। सभा का संचालन डॉ. मन्नू राय ने किया।

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