अजमेर जिले में धधक रही है प्रशासन की नाक के नीचे अवैध कोयला भट्टीया

Rakesh Gupta
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कृषि भूमि पर व्यापारिक कारोबार, वन विभाग हो रखा बेपरवाह

(हरिप्रसाद शर्मा) अजमेर :अजमेर जिले में अवैध कोयला व्यापार प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा है, वन विभाग बेपरवाह होकर आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर पाया। जिससे अवैध कोयला व्यापारियों और भट्टीया संचालकों के हौसले बुलंद है। अजमेर जिले के पीसांगन, अजूबा का कबाडिया, गोला, गिगलपुरा ,दौलत खेड़ा, सराधना, श्रीनगर ,गिगलपुरा, नूरीयावास, बुधवाड़ा, जेठाना, गोविंदगढ़, पिपरौली, टाटोटी, बांदनवाड़ा ,गोवलिया, रामसर ,अराई, ऊटड़ा, पीसांगन के नया गांव रोड, पीसांगन के रीछमालिया रोड, किशनगढ़ बबाईचा ,भिनाय सहित जिले के प्रत्येक उपखंड क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में अवैध कोयला भटिया संचालित है। वन विभाग के अधिकारियों को उनकी जानकारी होने के बावजूद भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रहीहै। गत दिनों अर्जुनपुरा और बिडिकचावास मैं वन विभाग द्वारा नाम मात्र की कार्यवाही करने और अन्य बड़े भाटिया संचालक के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने से वन विभाग के खिलाफ कई प्रकार की चर्चाएं हो रही है। जिले के पिपरौली और ऊंटाडा क्षेत्र में सैकड़ो की संख्या में भट्टीया चल रही है। पीसांगन में प्रत्येक गांव में यह कारोबार फल फूल रहा है। वन विभाग द्वारा इन पर किसी कार्य कार्यवाही के नहीं होने से अवैध कोयला व्यापारियों के भी हौसलेबुलंद है।

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बिना टिपी का खेल, सरकार के करोडो का चुना
ग्रामीण क्षेत्रों में कोयला बनाने वाले बड़े स्टॉक रखने वालों को कोयला बेचते हैं जो बिना टी पी के जिले के बाहर चला जाता है। यह खरीद फरोख्त सरकार के करोड़ों का चूना लगा रही है और वन विभाग के कर्मचारियों को इसकी संपूर्ण जानकारी होने के बावजूद भी अनदेखी कर रहे हैं।
कृषि भूमि पर व्यावसायिक कारोबार, रेवेन्यू विभाग भी नहीं करता कार्यवाही

कोयला बनाने के लिए भट्टीया कृषि भूमि पर चल रही है। इसको लेकर भी वन विभाग के अतिरिक्त रेवेन्यू विभाग भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करने से अवैध कोयला व्यापारियों के हौसलेबुलंद है।

*इनका कहना है
मुझे अवैध कोयला बनाने वालों की जैसे ही जानकारी मिल रही है मैं उनके खिलाफ कार्यवाही करवा रहा हूं। कोयला बनाने और भाटिया चलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी, दोषियों को बक्सा नहीं जाएगा:पी बाला मोर्गन ,अजमेर जिला फॉरेस्ट अधिकारी

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