छपरा ।प्रतिष्ठित शिक्षाविद्, कोषकार और ‘सरस्वतीपुत्र’ के नाम से विख्यात बद्री नारायण पांडेय का निधन हो गया है। उनके निधन से शिक्षाजगत और साहित्य-जगत में गहरा शोक व्याप्त है। असाधारण साहित्य-साधना, बहुभाषी दक्षता और गहन शोध क्षमता के कारण वे पूरे प्रदेश ही नहीं, देश में विशिष्ट पहचान रखते थे।
श्री पांडेय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण कृति “पंचभाषा शब्दकोश” है, जिसमें संस्कृत, पर्सियन, जर्मन, अंग्रेज़ी तथा हिंदी—इन पाँच भाषाओं का समावेश है। यह बहुभाषी कोश उनकी गहन शोध-क्षमता और भाषाई विद्वत्ता का अद्वितीय प्रमाण माना जाता है, जिसने उन्हें भारत के महत्वपूर्ण कोशकारों की श्रेणी में स्थापित किया।
अपने दीर्घ शिक्षण-जीवन में उन्होंने राजेन्द्र कॉलेजिएट तथा श्रीलाल कन्या उच्च विद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में कार्य किया और अनगिनत विद्यार्थियों को ज्ञान का मार्ग दिखाया। उनके स्नेहिल और समर्पित व्यक्तित्व के कारण विद्यार्थी उन्हें आत्मीयता से “बद्रीनारायण चाचा” कहकर याद करते थे। साहित्यिक एवं शैक्षणिक योगदान के लिए उन्हें अनेक सम्मान भी प्राप्त हुए।
श्री पांडेय छपरा नगर के भगवान बाज़ार स्थित हर्दनबासु गली में निवास करते थे। उनके निधन पर कायस्थ परिवार छपरा–सारण संघ के सदस्यों ने कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर उन्हें सादर स्मरण किया और श्रद्धा-सुमन अर्पित किए।
मुख्य संयोजक अभिजीत श्रीवास्तव ने कहा कि बचपन से ही पड़ोसी एवं पारिवारिक सदस्य के रूप में उनके घर पर हमारा सतत आना-जाना रहा। वे सरल, सौम्य, विद्वान और सभी के मार्गदर्शक थे।
समाज कल्याण फेडरेशन ऑफ इंडिया के बिहार प्रदेश अध्यक्ष एवं कायस्थ परिवार के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. विद्या भूषण श्रीवास्तव ने उनके पंचभाषीय साहित्य और शब्दकोश-निर्माण की विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्कृत सहित कई विषयों के मर्मज्ञ विद्वान थे।
बद्री नारायण पांडेय के पुत्र कृष्णानंद पांडेय भी छपरा–सारण कायस्थ परिवार की विभिन्न गतिविधियों में सदैव सक्रिय रहे हैं और हर आयोजन में परिवार को सामूहिक रूप से सहयोग प्रदान करते रहे हैं।
राजेश कुमार सिन्हा ‘मिंटू’, कमल किशोर सहाय, अजीत सहाय, सुमन कुमार सोनू, अजय सहाय, अभिषेक अरुण तथा अन्य सभी सदस्यों ने भी उन्हें नम्रतापूर्वक याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
शिक्षा, शोध और साहित्य के क्षेत्र में श्री पांडेय का योगदान अनुपम और सदैव स्मरणीय रहेगा। उनके द्वारा रचित शब्दकोश एवं साहित्यिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का अमूल्य स्रोत बनी रहेगी।
