समस्तीपुर: खानपुर प्रखंड क्षेत्र में आज मिथिला परम्परा के अनुसार सोलह श्रृंगार के साथ महिलाओं ने किया वट सावित्री की पूजा अर्चना के साथ रखा निर्जला व्रत।

Rakesh Gupta
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अपने पति के लंबे उम्र एवं रक्षा के लिए महिलाएं करती है वट सावित्री की पूजा अर्चना।

बिहार न्यूज़ लाइव / अर्जुन कुमार झा/समस्तीपुर/खानपुर प्रखण्ड क्षेत्र के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा अर्चना की।जिसमें पूजा अर्चना खतुआहा,बरहगामा,भानपुर,खानपुर,हरिहरपुर खैढी चकवाखर,डेकारी,सिरोपट्टी,इलमासनगर आदि क्षेत्रों में महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजा अर्चना किया।

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इस मौके पर सुहागिन स्त्रियां वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा कर अपने सुहाग की सलामती व उसकी लंबी उम्र और अच्छी सेहत की प्रार्थना की।महिलाओं ने आज निर्जला व्रत भी पूरे दिन रखी।बरगद के पेड़ की परिक्रमा व पूजा अर्चना कर अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की।
वट सावित्री पर्व पर बरगद की पूजा अर्चना का मिथिला में विशेष महत्व है।महिलाएं पूरे सोलह श्रृंगार व लाल जोड़े में बरगद के पेड़ पर सूत बांधकर उसकी परिक्रमा करती है।

 

तथा वट सावित्री व्रत की कथा जो सावित्री व सत्यवान की कथा से जुड़ी हुई है।जहां माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज की प्रार्थना कर सुहाग वापस पायी थी।हालांकि इस बार बड़ी संख्या में सुहागिनो ने घर से गीत गाती बाहर निकल कर बरगद की पेड़ यानी वटवृक्ष की परिक्रमा कर मिथिला पारंपरिक तौर पर रस्मे निभाई है।वही वटवृक्ष की पूजा अर्चना के दरमियान खतुआहा निवासी पत्रकार अर्जुन कुमार झा की विवाहिता पुत्री सरिता कुमारी ने कहा कि वट सावित्री का व्रत पर्व पूरी मिथिला सहित अन्य जगहों में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।

जो विशेष रूप से चर्चा करते हुऐ उन्होंने कही की यह वटवृक्ष की पूजा अर्चना विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिये पूजा अर्चना के साथ साथ अपनी सुहाग की रक्षा के लिये करती है।
वही सरिता कुमारी ने कहा कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक माता सावित्री ने अपना सुहाग बचाने को लेकर मृत्यु के देवता यमराज को फैसला बदलने पर विवश कर दिया था।

 

तथा इस पौराणिक घटना में माता सावित्री ने न सिर्फ अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की बल्कि सुहाग के प्रति सावित्री ने समर्पण कर ऐसा अनूठा उदाहरण पेश किया कि वह समूची दुनिया में सुहागिनों ने वटसावित्री की पूजा अर्चना उस दिन से करने लगी।

 

माता सावित्री से जुडी इस कथा के बाद से ही सुहागिन औरतें अपने पति की रक्षा,व उनकी लम्बी उम्र की कामना और आरोग्य के लिए निर्ज़ल व्रत रख कर पूजा-अर्चना करती है।शास्त्र अनुसार कहा जाता है कि माता पार्वती ने भी भगवान शिव के लिए वट सावित्री की पूजा अर्चना की थी।

 

 

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