**किशनगढ़ थानाधिकारी किया लाइन हाजिर
* भविष्य में गिरफ़्तारी से पूर्व बार अध्यक्ष को सूचित
(हरिप्रसाद शर्मा) अजमेर:अजमेर में अधिवक्ताओं का 18 दिनों से चल रहा आंदोलन गुरुवार को समाप्त हो गया। जिला पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा के नेतृत्व में हुई वार्ता में अधिवक्ताओं की प्रमुख मांगों पर सहमति बनी। किशनगढ़ थानाधिकारी भीकाराम काला को लाइन हाजिर कर दिया गया है तथा मामले की निष्पक्ष जांच एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया।किशनगढ़ के अधिवक्ता बालकिशन सुनारिया की गिरफ्तारी के विरोध में किशनगढ़ के अधिवक्ता 15 दिन से और अजमेर के अधिवक्ता तीन दिन से आंदोलनरत थे।
बैठक में अजमेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह रावत, सचिव दीपक गुप्ता समेत अन्य अधिवक्ता मौजूद रहे। वार्ता के दौरान सभी विवादित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। महत्वपूर्ण निर्णयों में यह भी तय किया गया कि भविष्य में किसी अधिवक्ता की गिरफ्तारी से पूर्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को सूचित किया जाएगा।सूत्रों के अनुसार आंदोलन के दौरान अधिवक्ताओं पर पानी की बौछार करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बार एसोसिएशन अध्यक्ष अशोक रावत ने बताया कि पहले कई बार वार्ता हुई थी, पर कुछ बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई थी।
गुरुवार को सकारात्मक वार्ता के बाद सभी मुद्दों का समाधान निकल आया और अधिवक्ताओं ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।*पुलिस आई बैकपुट पर एडवोकेट पिछले 18 दिनों से पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए आंदोलन कर रहे थे, लेकिन वकीलों के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस को बैकपुट पर आना पड़ा और मजबूरी में किशनगढ़ सीआई भीखाराम काला को लाइन हाजिर करना पड़ा। जिससे साफ देखा रहा है कि पुलिस ने निष्पक्ष और ईमानदारी से कार्य करने वाले सीआई को लाइन हाजिर कर अपनी ही छवि धूमिल की है।
बता दें कि बीते दिनों अजमेर रेंज डीआईजी ओमप्रकाश मेघवाल ने मीडिया से कहा था कि पुलिस की कार्रवाई पूरी निष्पक्ष थी और जांच के बाद ही एडवोकेट सुनारिया को गिरफ्तार किया था।*जवानों का टूटा मनोबल, झूठ की हुई जीत?किशनगढ़ थानाधिकारी भीखाराम काला ने जमीन धोखाधड़ी मामले में सभी नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उन्होंने जांच के दौरान फर्जी दस्तावेज और अंगूठा निशानी से की गई नोटरी के प्रमाण मिले थे। एफएसएल रिपोर्ट में भी परिवादी की अंगूठा निशानी से दस्तावेजों में प्रयुक्त निशानी का मिलान नहीं हुआ था।
इसके बाद अनुसंधान में एडवोकेट बाल किशन सुनारिया का नाम सामने आया और सबूत मिलने पर गिरफ्तारी की गई।इस पूरे घटनाक्रम ने अजमेर में प्रशासन और वकील समाज के बीच तनाव की स्थिति उत्पन्न कर दी थी। एक ओर जहां वकील गिरफ्तारी को अवैध बता रहे थे, वहीं ग्रामीण सीआई भीखाराम काला की कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं, लेकिन आज जब सीआई काला को लाइन हाजिर किया तो इससे पुलिस के कई अधिकारियों व जवानों का मनोबल टूट गया जो ईमानदारी और निष्पक्षता से अपना कार्य करते है। दूसरी ओर ग्रामीणों ने सीआई को लाइन हाजिर करने की कार्रवाई को गलत बताया और कहा कि सच्चाई की हार और झूठ की जीत हुई है।