अजमेर:ब्रह्म चतुर्दशी बैकुंठ चतुर्दशी सृष्टि का प्रादुर्भाव,सृष्टि की संरचना विश्व में का निर्माण किया

Rakesh Gupta
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(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/अजमेर: कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी मंगलवार को सर्वार्थ सिद्धि योग ,अमृत योग के साथ ब्रह्म चतुर्दशी का प्रादुर्भाव हो रहा है ।जो भारत के लिए जनमानस के लिए शुभ संकेत हैं ।


वेद पुराण शास्त्रों के अनुसार पद्म पुराण ,ब्रह्म पुराण ,विष्णु पुराण में वर्णित है कि ब्रह्म चतुर्दशी को 33 करोड़ देवी देवताओं ,ऋषि मुनि ,गंधर्व ,किन्नर ,संत, महंत ,ब्राह्मण आदि द्वारा सारे तीर्थ ,सारी नदियां ,सारे समुद्र, पंचामृत, पंचगव्य से ब्रह्मा जी का अभिषेक किया गया ।ब्रह्मा जी ने उन समस्त तीर्थ नदियों ,समुद्रों के जल को ,ब्रह्म कमंडल में लेकर पुष्कर सरोवर में विद्यमान किया है ।जो आज ब्रह्म सरोवर के नाम से विश्व विख्यात है ।

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यह जानकारी देते हुए पंडित कैलाश नाथ दाधीच ने बताया कि पद्म पुराण ,ब्रह्म पुराण में वर्णित है कि इस दिन विष्णु लक्ष्मी ने शंकर पार्वती ने 33 करोड़ देवी देवताओं ऋषि मुनि यक्ष गंधर्व किन्नर ब्राह्मण आचार्य की सन्निधि में वैदिक मंत्र द्वारा चतुर्मुख चतुर्भुज हंस पर विराजमान ब्रह्मा जी को जगत पिता की उपाधि से सम्मानित करके मनु महाराज के माध्यम से सृष्टि का संचालन करने का सभी ने एक मत से निवेदन किया ।जिसको ब्रह्मा जी ने स्वीकार करके इसी दिन से सृष्टि की संरचना विश्व में स्त्री पुरुष का निर्माण किया ।साथ में सभी ने ब्रह्मा जी से अनुरोध किया की आज से ब्रह्म पुष्कर सरोवर को सारे तीर्थ सारे नदियां सारे समुद्र सारे विश्व में गुरु का पद सम्मानित कर रहे हैं ऐसा वेदों में वर्णित है ।


पंडित ने बताया कि इस दिन स्वर्ग में वैकुंठ लोक में उत्सव मनाया गया ।ब्रह्मा जी ने अपने मुखारविंद से सभी को बताया कि आज का दिन बैकुंठ चतुर्दशी एवं ब्रह्म चतुर्दशी के नाम से विश्व विख्यात होगा ।


इस दिन तीर्थ गुरु पुष्कर राज में स्नान करने से दान ,पुण्य, हवन, पूजन परिक्रमा करने से एवं ब्रह्मा सावित्री ब्रह्म गायत्री की पूजन हवन दान पुण्य परिक्रमा दर्शन करने से अक्षय गुना फल बताया गया है ।


ब्रह्म चतुर्दशी बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से विख्यात है जो वर्ष में कार्तिक मास में चतुर्दशी को ही आती है ।यह श्रेष्ठ महान पर्व है इस दिन पुण्य कार्य करने से ब्रह्म सावित्री ब्रह्म गायत्री लक्ष्मी नारायण शिव पार्वती समस्त देवता ऋषि मुनि प्रसन्न होकर मनोकामना परिपूर्ण करते हैं ।

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