(हरिप्रसाद शर्मा ) अजमेर/शहर को जल्द ही एक और बड़ी सौगात मिलने वाली है। काजीपुरा, खरेखड़ी, अजयसर और आसपास के गांवों में फैली गंगा-भैरव घाटी में लेपर्ड सफारी विकसित की जाएगी। रणथंभौर, सरिस्का, रावली-टॉडगढ़ और जवांई बांध की तर्ज पर इस घाटी को पर्यटकों के लिए खोला जाएगा, जहां सैलानी तेंदुओं के साथ-साथ घाटी के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकेंगे। यहां ट्रेकिंग के दौरान पर्यटक सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय के अस्तबल, सैनिक छावनी और अन्य ऐतिहासिक स्थलों को भी देख पाएंगे। ट्रेक पर पर्यटकों के विश्राम की भी विशेष व्यवस्था होगी।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने रविवार को काजीपुरा स्थित गंगा-भैरव घाटी का निरीक्षण किया। इस दौरान वन विभाग की मुख्य वन संरक्षक ख्याति माथुर सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। उन्होंने प्रस्तावित लेपर्ड सफारी परियोजना की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की और टिकट खिड़की, रेस्ट प्वाइंट्स, सेल्फी प्वाइंट्स तथा अन्य सुविधाओं के स्थानों का निरीक्षण किया।
देवनानी ने कहा कि लेपर्ड सफारी बनने से अजमेर को एक नई पहचान पर्यावरणीय पर्यटन स्थल के रूप में मिलेगी। अजमेर पहले से शिक्षा नगरी के रूप में जाना जाता है और अब पर्यटन के क्षेत्र में भी इसे और समृद्ध किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस परियोजना पर लगभग 19 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है, जिसमें शुरुआती चरण में 6 करोड़ रुपए से काम शुरू किया जाएगा।
परियोजना के तहत 7.5 किलोमीटर पुराने क्षतिग्रस्त ट्रैक का पुनर्निर्माण और 11.5 किलोमीटर नए ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। मार्ग में रेस्ट प्वाइंट्स, अल्पाहार केंद्र और सेल्फी प्वाइंट्स जैसी सुविधाएं भी होंगी। इससे मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिलेगी।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना से स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार और आय के नए अवसर प्राप्त होंगे। अजमेर में फिलहाल कोई बड़ा पर्यावरणीय पर्यटन स्थल नहीं है, ऐसे में यह लेपर्ड सफारी देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए नया अनुभव साबित होगी। इसके साथ ही साइंस पार्क, वरुण सागर का सौंदर्यीकरण और अजमेर एंट्रेंस प्लाजा सहित कई कार्य भी करोड़ों की लागत से किए जाएंगे।
इस अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष रमेश सोनी, उप वन संरक्षक जय सिंह सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और ग्रामीण मौजूद रहे।