कार्तिक शुक्ल पक्ष में ज्योतिष का अद्भुत नजारा ,छह सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं जो जनमानस के लिए शुभ

Rakesh Gupta
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*कार्तिक शुक्ल पक्ष में ज्योतिष का अद्भुत नजारा **छह सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं जो जनमानस के लिए शुभ

(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/ अजमेर/कार्तिक शुक्ल पक्ष में छह सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं जो जनमानस के लिए शुभ योग नजर आ रहा है ।सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर द्वितीय गुरुवार 24 अक्टूबर तृतीय शुक्रवार 26 अक्टूबर पंचमी रविवार 2 नवंबर एकादशी रविवार 4 नवंबर त्रयोदशी सोमवार 5 नवंबर पूर्णिमा बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा ।इस योग में स्नान दान पुण्य हवन पूजन परिक्रमा करने से अक्षय गुना फल मिलता है ।कार्तिक मास भीष्म पंचक स्नान पूर्ण करना है ।

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उन्हें 1 नवंबर कार्तिक शुक्ल दशमी शनिवार को एकादशी का आगमन प्रातः 9:12 पर प्रारंभ होने से इस दिन से स्नान करने से पंच तीर्थ स्नान का फल 5 नवंबर पूर्णिमा तक करने से पूर्ण फल मिलेगा ।पंडित कैलाश नाथ गोपीनाथ दाधीच के अनुसार ज्योतिष शास्त्र पंचांग में वर्णित है कि द्वादशी तिथि खंडित है ।मगर 2 नवंबर कार्तिक शुक्ल एकादशी रविवार को प्रातः 7:32 पर द्वादशी प्रारंभ होगी इस दिन स्नान दो बार करने से एकादशी एवं द्वादशी का पुण्य फल मिल सकता है ।

ऐसा तिथियां के घटित बढ़त से योग बन रहा है ।कार्तिक शुक्ल पक्ष के पंच तीर्थ स्थान में चार दिनों में तीन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत योग होना देश-विदेश के लिए शुभ रहेगा ।1 नवंबर शनिवार को देव प्रबोधिनी एकादशी गृहस्थियों के लिए स्मार् त व्रत लिखा है ।2 नवंबर रविवार को तुलसी विवाह वैष्णव एवं निंबार्क संप्रदाय के लिए व्रत लिखा है ।4 नवंबर मंगलवार ब्रह्म चतुर्दशी वैकुंठ चतुर्दशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ अमृत योग भी है जो ब्रह्म सरोवर एवं ब्रह्मा जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा ।

5 नवंबर बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग पूर्णिमा शाम 6:59 तक रहेगी इसके बाद प्रतिपदा का आगमन होगा ।इस बार तिथियां के घटने बढ़ने से पद्म क योग 6 नवंबर गुरुवार मृग छला स्नान के साथ दोपहर 2:52 से रात्रि 3:28 तक यह योग पूर्ण 12 घंटे तक लगता रहेगा ।

इस योग में पद्म पुराण ,विष्णु पुराण ,मत्स्य पुराण , अग्नि पुराण ,ब्रह्म पुराण ,पुष्कर महत्याम मैं वर्णित है कि ब्रह्मा जी महाराज सावित्री और गायत्री के साथ हंस पर विराजमान होकर पृथ्वी पर विचरण करते हैं एवं तीर्थ गुरु पुष्कर में विराजमान रहकर सभी जनमानस को सुख शांति समृद्धि ऐश्वर्य मनोकामना परिपूर्ण करते हैं ।इस योग में ब्रह्म सावित्री ब्रह्म गायत्री के दर्शन तीर्थ गुरु पुष्कर राज मध्य पुष्कर कनिष्क पुष्कर में स्नान दान पुण्य हवन पूजन परिक्रमा करने से करोडो गुना फल लिखा हुआ है ऐसा वेदों में वर्णित है ।

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