अंकित सिंह,भरगामा (अररिया):लोक आस्था का महापर्व छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ हीं शुरू हो गया है। चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन शनिवार को व्रतियों ने गंगा सहित प्रमुख नदियों में स्नान और भगवान भास्कर की पूजा की। व्रतियों ने स्नान के बाद कद्दू,अरवा चावल,चना दाल,आंवले की चटनी आदि से बना प्रसाद ग्रहण किया। साथ हीं चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लिया। रविवार को खरना के लिए मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी के जलावन से अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर,रोटी आदि का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर का पूजा-अर्चना करने के बाद प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है।
कहते हैं कि लोग उगते सूरज का पूजा करते हैं,लेकिन आस्था के महापर्व छठ पूजा में डूबते सूरज को भी अर्घ्य देकर पूजा अर्चना किया जाता है। छठ व्रती महिलाओं के अनुसार खरना मन की शुद्धि का त्यौहार माना जाता है। जहां नहाय-खाय को तन की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। बता दें कि संतान प्राप्ति व संतान के सुख समृद्धि के लिए किए जाने वाले इस व्रत में व्रती महिलाएं दो दिन तक जमीन पर हीं सोयेंगी। मालूम हो कि आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है।
छठ पर्व से लोगों की एक गहरी आस्था और भावनाएं जुड़ी हुई हैं। लोग पूरे साल छठ पूजा का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं। क्योंकि,यही वह मौका होता है जब पूरा परिवार एक साथ घाट पर आता है। ज्ञात हो कि आज सोमवार को डूबते हुए सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा।
छठ व्रत रखने वाली महिलाएं आज शाम को नदी या तालाब के किनारे बने हुए छठ घाट पर पूरी निष्ठा भाव से भगवान सूर्य की उपासना करेंगी। इस दौरान वे पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को ठेकुआ,गन्ना समेत अन्य प्रसाद सामग्री से अर्घ्य देंगी और अपने परिवार,संतान की सुख समृद्धि की कामना करेंगी। इसको लेकर घाट पर लाइट आदि की सभी व्यवस्था पूरी कर दी गई है।
