अंकित सिंह,भरगामा(अररिया)
भरगामा प्रखंड क्षेत्र के विषहरिया पंचायत भवन की स्थिति कई वर्षों से खराब है। भवन के कमरे में ना दरवाजे हैं और ना हीं बैठने की व्यवस्था है। सभी कमरों में गंदगी फैली हुई है। स्थानीय ग्रामीण आजम अनवर,मोहम्मद अजमल ने बताया कि लाखों की लागत से बना पंचायत भवन में ना तो आजतक कोई कर्मी बैठा है,ना हीं इस कार्यालय का कोई लाभ ग्रामीणों को मिला है,लेकिन फिर भी मरम्मति कार्य का रुपये निकासी कर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि यहां के लोगों को अभी भी छोटे-छोटे कार्यों के लिए करीब 25 किलोमीटर दूर भरगामा प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता है।
वहीं जानकार बताते हैं कि हर गांव में पंचायत भवन बनाया गया है। इसका मकसद है कि पंचायत के सभी कर्मी यहीं बैठकर ग्रामीणों को हरेक सेवाएं दें। जिससे लोगों को इधर-उधर ना भटकना पड़े,लेकिन विषहरिया पंचायत के लोगों को अभी भी प्रखंड कार्यालय में दलालों का सहारा लेना पड़ता है और उन्हें मुँह मांगे रकम देना पड़ता है तब जाकर छोटा-छोटा कार्य हो पाता है। सूत्रों ने बताया कि इस पंचायत भवन को कंप्यूटर,कुर्सी,टेबल और अन्य सामान भी मिली है,लेकिन अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों की मिलीभगत से सारा सामान गायब हो गया है।
फिलहाल इस पंचायत भवन में कोई भी कर्मी नहीं बैठ रहे हैं,जिसके कारण पंचायत एवं स्थानीय ग्रामीणों का कार्य बाधित है। इस मामले में मुखिया प्रतिनिधि मोहम्मद शाहनवाज आलम ने कहा कि जेई को बोले हैं भवन मरम्मत का एस्टीमेट बनाने,अब नए सिरे से मरम्मती कार्य किया जाएगा। वहीं प्रभारी पंचायत सचिव बबलू पंडित ने कहा कि उक्त भवन को जल्द हीं मरम्मत करवा दिया जायेगा।
वहीं फारबिसगंज अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत कुमार रंजन ने कहा कि वे मामले की जांचकर कार्रवाई करेंगे। विदित हो कि वर्ष 2024 में तत्कालीन डीएम इनायत खान के द्वारा इस भवन को बंद रहने के संबंध में पत्रांक 513 के तहत 4 मार्च 2024 को भरगामा प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित संबंधित सभी पंचायत कर्मियों से स्पष्टीकरण का मांग किया गया था। लेकिन सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्थानीय प्रशासन ने जिला पदाधिकारी के आंख में धूल झोंकर सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा का जवाब देकर डीएम को संतुष्ट कर दिए। जिसके बाद डीएम साहब की नजर इस कार्यालय की ओर नहीं गया इसी के फलस्वरूप आजतक इस भवन का मरम्मतीकरण कार्य नहीं हो पाया,ना हीं आजतक इस भवन में कर्मी बैठा,ना हीं ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हुआ हो रहा है। फिलहाल लाचार जनता दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं।