Bihar News Live Desk: अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया मुहर्रम
मातमी जुलूस से माहौल हुआ गमगीन, सीपल व ताजिया जुलूस का हुआ मिलान
छपरा.
बुधवार को मुसलमान भाइयों ने मुहर्रम का त्योहार अकीदत व एहतराम के साथ मनाया. इसलामी साल के प्रथम माह मुहर्रम की 10 वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा पर मुसलमानों के शिया समुदाय ने जहां मातमी जुलूस निकाला वहीं सुन्नी समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकाल पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे और हजरत अली के बेटे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए खराज-ए-आकीदत पेश किया. मातमी जुलूस शहर के दहियावां स्थित छोटा इमामबाड़ा से अंजुमन जाफरिया के तत्वावधान में निकाला गया. जुलूस महमूद चौक, थाना चौक, हथुआ मार्केट, साहबगंज, पोस्ट ऑफिस चौक, सोनरपट्टी होते हुए बुटनबाडी कर्बला तक गया. जुलूस में हजरत अब्बास के अलम के साथ ही इमाम हुसैन का प्रतीकात्मक ताबूत शामिल था. वहीं बूढ़े से लेकर बच्चे और नौजवान मातम कर रहे थे. विभिन्न चौक चौराहों पर रुक कर तैयब नकवी, मौलाना सैयद मासूम रजा, सैयद नक़ी हैदर, जावेद नक़वी, सैयद काजिम रजा आदि ने मुहर्रम के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह अधर्म के खिलाफ धर्म की, अन्याय के विरुद्ध न्याय की और बातिल के खिलाफ हक की विजय का प्रतीक है. इमाम हुसैन ने जालिम यजीद के अन्याय को मानने से इनकार कर दिया और यजीदी फौज ने कर्बला के मैदान में औरतें और बच्चों समेत उनके 72 निहत्थे साथियों को प्यास और भूख से तड़पने के बाद बेरहमी से कत्ल कर दिया. उन्होंने कहा कि इंसानियत की रक्षा के लिए इमाम हुसैन ने शहादत कुबूल की मगर सर नहीं झुकाया. इसके अलावा एसजी पंजतन, जफर अब्बास, फैयाज इमाम, शकील हैदर, बब्लू राही,आदि ने नोहा पढ़ कर मातम कराया.
तजिया जुलूस में दिया कौमी एकता का संदेश
दूसरी ओर सुन्नी भाईयों ने आशूरा का रोजा रखा और खीचड़ा, मलीदा और शर्बत का फातेहा कर लंगर वितरित किया. करीमचक, सरकारी बाजार, नया बाजार, ब्रह्मपुर, गुदरी, अजायबगंज, आदि मुहल्लों से तजिया जुलूस निकाला गया. जुलूस में लाठी, तलवार, गदका, भाला आदि भारतीय पारम्परिक हथियारों को चलाने का प्रदर्शन किया गया. तजिया व सीपल जुलूस विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए नबीगंज मसनुई कर्बला तक गया. जहां उनका मिलान हुआ. इस मौके पर वहां मेले जैसा माहौल रहा. जुलूस में हिंदू भाइयों ने भी शिरकत कर सर्वधर्म समभाव का परिचय दिया और कौमी एकता को मजबूत किया.