छपरा:नाम ही है छोटी कारनामें कर गई बड़ी

Rakesh Gupta
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संजय कुमार पाण्डेय
छपरा सदर । भारतीय जनता पार्टी ने जब से छोटी कुमारी को छपरा विधानसभा सीट के लिए अपना उम्मीदवार बनाया, उम्मीदवारी की घोषणा होते तथा नामांकन होने के साथ ही लोगों ने उनको कहना शुरू किया यह क्या हुआ। अब राखी गुप्ता का क्या होगा? सब लोग यही कहते थे कौन है ?


जैसे ही छोटी कुमारी को भाजपा ने अपना सिंबल दिया, लोगों ने यह करना शुरू किया कि यह कौन है छोटी? कहां से आई है छोटी? छपरा के लोग तो इनको जानते भी नहीं है। लेकिन छोटी कुमारी ने इतने बड़े कारनामा कर दिखाया कि अपने को बहुत बड़ा स्टार समझने वाले खेसारी लाल यादव को धूल चाट दी। बताते चले की नामांकन के बाद कुछ दिन ऐसा भी गुजर जिसमें छोटी कुमारी यह कहते नजर आई कि हम भी छपरा के हैं। क्योंकि आम पब्लिक ने यह अफवाह फैला दिया था कि यह तो परसा की है।

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लेकिनधीरे-धीरे चुनाव प्रचार ने रंग पकड़ा और छोटी कुमारी ने जो अपना डोर दू डोर अभियान चलाया जिसका परिणाम सामने आया। खेसारी लाल जैसे अभिनेता छोटी कुमारी के बड़े कारनामे के बदौलत मुंह के बल गिरकर चले गए। छोटी से इतने बुरे तरीके से हारे सेलिब्रिटी खेसारी लाल की मतगणना पूर्ण होने के पहले ही मतदान केंद्र को छोड़कर बाहर चले गए। अपने हार को दरवाजे पर खड़ा देख खेसारी लाल यादव इतने हताश हुए कि मीडिया कर्मियों से भी उन्होंने बात करना मुनासिब नहीं समझा तथा मीडिया कर्मियों से बचते बचाते सुरक्षा कर्मियों के घेरे में रहते हुए मतगणना केंद्र से बाहर निकल गए। मात्र उन्होंने इतना ही कहा कि छपरा के लोग बहुत अच्छे हैं इन्होंने मुझे बहुत प्यार और दुलार दिया ।

प्रधानमंत्री का आना साबित हुआ रामबाण

बिहार में एनडीए की सरकार बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत प्रधानमंत्री नरेंद्र कुमार मोदी ने भी किए और अपनी मेहनत के बदौलत वह हर जगह एनडीए के प्रत्याशियों को करीब करीब सफलता दिलाने में कामयाब रहे। इसी कड़ी में उनका छपरा आगमन तथा छपरा में एनडीए प्रत्याशियों को जीतने का अपील का जादू सर चढ़कर बोला। परिणाम यह हुआ की 2020 में जो स्थिति सारण जिले में राजद महागठबंधन की थी ठीक उसके उल्टे परिणाम 2025 में हुआ तथा 2025 में सारण जिले की जनता ने महा गठबंधन को नकार दिया तथा एनडीए को स्वीकार किया। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आने का ही परिणाम रहा की सारण जिला जो राजद का गढ़ माना जाता था,अपने गढ़ में ही उसे मुंह के बल गिरना पड़ा तथा ज्यादातर एनडीए के उम्मीदवारों को जीत का सेहरा बंध गया।

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