इच्छाएं ही मनुष्य को बन्धन में करती-निर्मल स्वरुप

Rakesh Gupta
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  • आचार्य ने पुष्कर माहात्म्य पुराणों के परिप्रेक्ष्य में” पुस्तक भेंट की
  • इच्छाओं का दमन और शमन सन्तों से प्राप्त ⁠

(हरिप्रसाद शर्मा) अजमेर/सोजत रोड के समीप सीसरवादा ग्राम में परम पूज्य स्वामी जी श्री १००८ निर्मल स्वरुप महाराज के द्वारा चातुर्मास्य व्रत प्रवास करने पर शिक्षाविद आचार्य माधव शास्त्री द्वारा लिखित पुस्तक “पुष्कर माहात्म्य पुराणों के परिप्रेक्ष्य में” को भेंट की गई। स्वामी ने अपने प्रवचनों में कहा कि इच्छाएं ही मनुष्य को बन्धन में करती हुई ,अनमोल जीवन को भ्रमित कर दिया करती हैं ।

उन्होंने कहा कि इच्छाओं का दमन और शमन सन्तों से प्राप्त ज्ञान रुपी प्रकाश से हो सकता है।भारतीय समुदाय इस व्रत के दौरान ज्ञान गंगा में चल रहे ,प्रवचनों को सुनते हुए अज्ञान के कारण जीवनशैली में परिवर्तन करने में समर्थ हो जाते हैं।

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इस मौक़े पर शास्त्री ने कहा कि ज्ञान प्रायः गुरुदत्त ही होता है ।जिसे करुणामय, दयावान और द्रवित हो ।शिष्यों को बताया जाता है जिसके द्वारा अज्ञान रूपी अन्धकार से ज्ञान रुपी प्रकाश को पाकर जीवन में चल रही हैं ।विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

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