अंकित सिंह,भरगामा(अररिया):भरगामा प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी शशि रंजन कुमार का मौखिक फरमान जारी होने के बाद बिहार न्यूज लाइव की टीम का ग्राउंड जीरो की पड़ताल में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है।
जहां सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए था,वहां केवल ताले बंद और ताले पर जंग व धूल जमी दिखी।
बता दें कि पंचायती राज विभाग के पदाधिकारियों ने सभी पंचायत कर्मियों को आदेश दिया है कि सभी पंचायत कार्यालय खुले रहें और सभी विभागों के पंचायत स्तरीय कर्मी ऑफिस समय में संबंधित पंचायत भवन के विभागवार कार्यालय में बैठकर ग्रामीणों की समस्याओं का त्वरित समाधान करें,लेकिन फिलहाल कुछ कर्तव्यहीन कर्मी अपने हीं वरीय पदाधिकारियों के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए “हम नहीं सुधरेंगे,हमको कोई सुधार नहीं सकता है” की लाइन-लेंथ पर चल रहे हैं।
रिपोर्ट में पंचायत कार्यालय खुला,हकीकत में बंद
बिहार न्यूज लाइव टीम को 12 जून 2025 (गुरुवार) को ऑफिस समय में विरनगर पश्चिम,हरिपुरकला,विषहरिया,खुटहा बैजनाथपुर,पैकपार,शंकरपुर,जयनगर,कुसमौल,धनेश्वरी,मनुल्लाहपट्टी पंचायत के स्थानीय ग्रामीणों से सूचना प्राप्त हुई कि उपरोक्त पंचायत भवन में कोई कर्मी अपने ड्यूटी पर मौजूद नहीं हैं,इसलिए पंचायत भवन और आरटीपीएस काउंटर में ताला लगा हुआ है। सूचना का सत्यापन के लिए बिहार न्यूज लाइव की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर उपरोक्त कुल 10 पंचायतों का पड़ताल किया। इस पड़ताल के दौरान समय लगभग साढ़े 12 बजे दिन तक उपरोक्त सभी पंचायतों के सचिव,राजस्व कर्मचारी,पीएम आवास सहायक,विकास मित्र,तकनिकी सहायक,कार्यपालक सहायक,लेखापाल,किसान सलाहकार,पीआरएस,कचहरी सचिव मुखिया,सरपंच समेत अन्य कर्मियों के कार्यालय में ताला बंद दिखा। वहीं मौजूद स्थानीय लोगों ने बताया कि उपरोक्त पंचायत भवनों में कई महीनों से ताला बंद है,लोगों ने बताया कि अगर लगातार अखबार में खबर प्रकाशन होता है तो कुछ दिनों तक चंद मिनटों के लिए कुछ कर्मी आते हैं और एकबार में पूरे महीनों का उपस्थिति पंजी में हाजिरी दर्ज कर वापस घर लौट जाते हैं,लेकिन उपस्थिति पंजी एवं बायोमैट्रिक अटेंडेंस का जांच करने वाले अधिकारी इन फर्जीवारे कर्मियों का धोखाधड़ी का खेलों को नहीं पकड़ पाते हैं,कारण दो बताया-लोगों ने आरोप लगाया है कि इन कर्मियों से जांच पदाधिकारी की भी मिलीभगत है,या नहीं तो वे सबकुछ जानते हुए भी कमीशन के चक्कर में कार्रवाई के बदले उन्हें बचाने में लगे हुए हैं। बताया गया कि जिन कर्मियों का स्थानांतरण हो चुका है उनका नाम अभी तक भवन के दीवाल पर अंकित है,लेकिन वर्तमान में पदस्थापित कर्मियों का नाम और मोबाइल नंबर गायब है। ऐसे में नवपदस्थापित कर्मियों से संपर्क नहीं हो पाता है,जिसके वजह से कई जरूरी कार्य बाधित पड़ा हुआ है। परेशान स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि कई महीनों से न आरटीपीएस का ताला खुल रहा है,न उपरोक्त कर्मी कभी ऑफिस समय में कार्यालय में ड्यूटी पर उपस्थित मिल रहे हैं,न पंचायत भवन का ताला खुल रहा है.. तो किससे कहें अपनी परेशानी..? लोगों का कहना था कि जाति,आय,निवास,राशन कार्ड या पेंशन जैसी जरूरी सेवाएं का लाभ प्राप्त करने के लिए 20 से 25 किलोमीटर दूर भरगामा प्रखंड कार्यालय या नहीं तो निजी साइबर कैफे का चक्कर काटना पड़ता है,जहां ढेर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। ऐसे में आमजनों का सवाल था कि करोड़ों की लागत से हरेक गावों में पंचायत भवन बनाने का क्या फायदा..? इधर प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी शशि रंजन कुमार को कार्यपालक सहायक द्वारा भेजी गई जीपीएस मैप कैमरा की फोटो प्राप्त हुई जिसमें उपरोक्त पंचायत के कार्यपालक सहायक की ओर से रिपोर्ट पेश की गई कि आरटीपीएस कार्यालय नियमित रूप से खुल रहा है,लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट पाया गया,यानी कि उपरोक्त कार्यालय में ऑफिस समय साढ़े बारह बजे तक ताला बंद रहा। वहीं गोपनीय सूत्रों का कहना है कि उपरोक्त पंचायत कार्यपालक सहायक से जब भी वरीय अधिकारी लाइव फोटो या लोकेशन की डिमांड करते हैं तो वे कुछ दिनों पूर्व का क्लिक किया हुआ जीपीएस मैप कैमरा का फोटो और लोकेशन का तारिक और समय को एडिट कर भेज देते हैं और जांच पदाधिकारियों के आँखों में धूल झोंककर उन्हें संतुष्ट कर देते हैं कि हम अपने कर्तव्य पथ पर उपस्थित हैं और ईमानदारी पूर्वक कार्य कर रहे हैं।
जनता को मिल रही सजा,सिस्टम बजा रही ताली
उपरोक्त पंचायतों के ग्रामीणों ने कहा कि आरटीपीएस और पंचायत भवन दोनों के बंद होने से सरकार की यह मंशा “एक हीं छत के नीचे” मनरेगा,जन्म-मृत्यु,वृद्धा पेंशन,जाति,आय,निवास,राशन कार्ड,आवास,कृषि योजना सहित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने का वह वादा फिलहाल हाथी का दांत सबित हो रहा है। कहा गया कि केन्द्र सरकार का डिजिटल इंडिया का सपना और राज्य सरकार का गांव के लोगों को अपने हीं पंचायत भवनों में सभी सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने का दावा बिल्कुल फैल नजर आ रहा है। अब यहां पर कई सवाल उठते हैं जैसे…बीपीआरओ साहब अब आप किस पर कार्रवाई करेंगे..? जिस पंचायत भवन और आरटीपीएस काउंटर में ताले लटक रहे हैं,वहां जिम्मेदार कौन हैं..? क्या सिर्फ रिपोर्ट भेज देना हीं सच्चाई को छुपाने के लिए काफी है..? बीपीआरओ साहब खुद बाहर निकलकर बंद पंचायत भवनों पर छापा मारेंगे..? क्या बंद पंचायत भवनों के खिलाफ भी अभियान चलाया जाएगा..? ऐसा बोल रहे उपरोक्त बंद पंचायत भवन से संबंध रखने वाले स्थानीय लोग। उपरोक्त गांव के लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन सच में गांवों तक सेवा पहुंचाना चाहता है,तो सिर्फ मौखिक बयानबाजी में चेतावनी देने से सकारात्मक सुधार नहीं होगा। सुधार के लिए फील्ड में उतरकर सच देखना होगा और फर्जीवाज एवं बहानेबाज व धोखाधड़ी करने वाले कर्मियों के खिलाफ लिखित आदेश में कड़ा एक्शन लेना होगा तभी ग्रामीणों को उनका हक मिलेगा और वरीय अधिकारियों के आदेशों का इमानदारी से पालन होगा।