नियति ने बनाया उन्हें दिव्यांग लेकिन हौंसले से वे हैं शहंशाह

Rakesh Gupta
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नियति ने बनाया उन्हें दिव्यांग लेकिन हौंसले से वे हैं शहंशाह

डिफरेंटली एबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार द्वारा चयनित सीवान टीम के तीन दिव्यांग खिलाड़ियों से मिलना बन गया प्रेरणा का सुखद पल

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

सीवान। नियति ने उन्हें दिव्यांग बनाया जरुर लेकिन हौंसले उनके शहंशाहों के जैसे हैं। शारीरिक अक्षमताएं उन्हें चुनौती देती हैं लेकिन उनका मन सदाबहार उत्साह से भरा रहता है। वे बेहद साधारण परिवारों से हैं अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं। फिर भी वे दिव्यांग होते हुए भी क्रिकेट खेलने का जबरदस्त शौक रखते हैं। वे दिव्यांग हैं परंतु राज्य स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर, अंतराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलकर सिवान के नाम रौशन करने का सपना संजो रहे हैं। डिफरेंटली एबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के द्वारा सीवान दिव्यांग क्रिकेट टीम के लिए चयनित तीन प्रतिभाओं से शुक्रवार को मिलना प्रेरणा का सबब बन गया। आइए जानते हैं सीवान दिव्यांग टीम के इन तीन रणबांकुरों की संघर्ष की कहानी। ये कहानी संघर्ष का संदेश देती है। ये कहानी प्रेरणा का मंत्र सुनाती है। ये कहानी संवेदना का तार झंकृत करती है। ये कहानी प्रोत्साहन के गीत गुनगुनाती है।

 

बचपन में दुर्घटना में पैर कटा जितेंद्र का, लेकिन उत्साह बरकरार

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सीवान के बड़हरिया प्रखंड के त्रिवेणिया कला के निवासी जितेंद्र कुमार यादव। ये भी बेहद साधारण परिवार से हैं। इनके पिता श्री रामाश्रय चौधरी टेंपो चलाकर अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे हैं। जयप्रकाश विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद जितेंद्र प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं । लेकिन जितेंद्र सामान्य छात्र नहीं हैं वे दिव्यांगता से ग्रस्त हैं। 2008 में उनकी जिंदगी में एक बुरा दौर आया। एक ट्रैक्टर दुर्घटना में उनका दाया पैर कट गया। परिस्थितियां विचलित करती रहीं लेकिन जितेंद्र का हौंसला कायम रहा। जितेंद्र सीवान दिव्यांग क्रिकेट टीम में शामिल होकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर राष्ट्रीय स्तर पर सिवान के नाम को रौशन करने का सपना संजो रहे हैं।

 

कठिन आर्थिक परिस्थितियों से मैट्रिक तक पढ़ाई करनेवाले राजनाथ दिव्यांग क्रिकेट में रौशन करना चाह रहे सीवान का नाम

 

सीवान के भगवानपुर हाट प्रखंड के रहनेवाले राजनाथ कुमार बेहद साधारण परिवार से हैं। उनके पिता बबन राय एक साधारण किसान हैं। परिवार की कठिन आर्थिक परिस्थितियों के कारण वे मात्र मैट्रिक तक पढ़ाई कर अभी साइबर कैफे को संचालित कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। वे जन्म से ही दाहिने पैर की दिव्यांगता से ग्रसित हैं। जिंदगी उनकी निश्चित तौर पर चुनौतीपूर्ण है लेकिन उनका जज्बा जबरदस्त है। वे क्रिकेट के प्रति जबरदस्त शौक रखते हैं। डिफ्रेंट्ली एबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के अधीन सीवान दिव्यांग क्रिकेट टीम में शामिल होकर वे राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में खेलकर सीवान का नाम रौशन करने की ख्वाहिश रखते हैं।

 

लाठी है सहारा लेकिन धर्मेंद्र आसमानी उपलब्धियों की रखते हैं चाहत

 

सीवान के दरौली प्रखंड के निवासी धर्मेंद्र गौड़ बचपन से ही लाठी के सहारे चलते रहे हैं। जन्म से ही दाहिने पैर की दिव्यांगता से ग्रसित है। उनके पिता स्वर्गीय सिपाही साह भी इस दुनिया में नहीं हैं। धर्मेंद्र की ख्वाहिश एक उच्च कोटि के शिक्षक बनने की है। स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद वे सीटीईटी पास कर बीपीएससी शिक्षक बनने की ख्वाहिश रखते हैं और उसके लिए प्रयास भी कर रहे हैं। उनका शौक क्रिकेट खेलना भी है। सीवान दिव्यांग क्रिकेट टीम में शामिल होकर वे अपने इस शौक को परवान पर पहुंचाना चाहते हैं। वे क्रिकेट लाठी के सहारे दौड़कर खेलेंगे लेकिन उनका जज्बा प्रेरित और ऊर्जस्वित करता है।

 

डिफ्रेंट्ली एबल्ड क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के प्रेसिडेंट श्री राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि हमलोग सीवान के दिव्यांग खिलाड़ियों के उत्साहवर्धन के लिए एक मजबूत मंच मुहैया कराने का प्रयास कर रहे हैं ताकि वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सीवान का नाम रौशन कर सकें। गौरतलब है कि डीसीएबी डीसीसीआई- डिफरेंटली क्रिकेट काउंसिल ऑफ इंडिया(बीसीसीआई सपोर्टेड बॉडी) से मान्यता प्राप्त संगठन है। डीसीएबी के उत्तरी जोन के सचिव कार्तिकेय कुमार ने कहा कि इन दिव्यांग खिलाड़ियों का जज्बा हमें भी प्रेरित कर रहा है। डीसीएबी के सिवान शाखा के प्रेसिडेंट डॉक्टर रामेश्वर कुमार ने कहा कि हमलोग दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ियों के उत्साहवर्धन और प्रोत्साहन के लिए प्रयास कर रहे हैं।

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