(हरिप्रसाद शर्मा) पुष्कर/ अजमेर: धार्मिक नगरी पुष्कर में गुरू पूर्णिमा महोत्सव पर गिरिशानन्द आश्रम में संगीत मय सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण के आयोजन के छठवें दिवसकथावाचक एवं आश्रम के अधिष्ठाता महन्त श्री श्री 1008 स्वामी रामानन्द गिरी ने कहा कि भगवान की प्राप्ति कब होती हैं, जब भगवान के प्रति प्रेम, उत्साह, एवं इच्छा होती हैं ।
तब भगवान की प्राप्ति होती हैं । उन्होंने श्रोताओं को कहा कि भगवान के प्रति व्याकुलता होगी वहीं भगवान प्रकट हो जायेगे । श्रद्धा से भी भगवान की प्राप्ति की जा सकती हैं ।कथा के दौरान कथावाचक गिरी ने भगवान के महारास के बारे मैं बताते हुए कहा कि य गोपियों ने भगवान के लिए रास किया, जब भगवान प्रकट हुए भगवान के साथ किये गये पास को महारास कहा है। तब ही महारास की उत्पत्ति हुई । स्वामी गिरी ने कहा कि महारास कोई साधारण किये जाने वाला रास नहीं है ।
यह गोपियों के साथ किया गया है । यह ब्रह्म व जीव का रस है । कथावाचक गिरी ने व्यासपीठ से कृष्ण की निब प्रकार की लीलाओं का वर्णन भी किया । उन्होंने कहा कि भगवान मिल जाए को ऐश्वर्य की कामना नहीं रहती है ।हम जिस चीज से बंधे हैं , वह वास्तव में सुख नहीं है । विषयो का कुछ नहीं बिगड़ता है बल्कि इन्द्रियॉ क्षीण होती हैं । फब कह कि भगवान से आकांक्षा नहीं करना चाहिए ।
स्मरण करते रहना चाहिए । भगवान को सब कुछ पता है । उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को बचपन में ऐसे संस्कार गेंद चाहिए कि वह बचपन से ही माता पिता को प्रतिदिन प्रणब करने चाहिए । कथा के दौरान कृष्ण-रुक्मणी विवाह हुआ ।* पवित्र पुष्कर सरोवर की महाआरती की जायेगी बुधवार को कथा के विश्राम के कथावाचक श्री श्री 1008 स्वामी रामानन्द गिरी के आचार्यत्व में पवित्र पुष्कर सरोवर की महाआरती व पूज अर्चना की जायेगी । बुधवार को कथा का समय प्रातः 9.30 बजे से रहेगी ।