हिन्दी भाषा राष्ट्र और विश्व की सार्वभौमिक भाषा बन चुकी

Rakesh Gupta
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एकता की प्रतीक हिन्दी -माधव शास्त्री

  • संचार साधनों के उपयोग में हिन्दी का प्रयोग⁠
    (हरिप्रसाद शर्मा ) सोजत/ पाली: भाषा स्वयं को गढ़ती हुई ,वर्तमान को शब्द प्रदान करने के लिए नित्य नवीन रुप धारण करती रहती हैं । यह विचार एवं मत प्रकट करते हुए आचार्य माधव शास्त्री ने कहा कि । जिसके कारण मानव को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अवसर देती रहती हैं ।जिसमें हिन्दी भाषा अद्यतन की सम्प्रेषण करने की माध्यम बनी हुई है।
  • इस भाषा ने सभी प्रचलित भाषाओं और बोली का स्वयं में समाविष्ट किया है । हिन्दी के व्याकरणिक ढांचे में अंग्रेजी,फारसी, उर्दू संस्कृत के सभी शब्दों को अपने में संजोते हुए स्वयं को जन-मानस में सुस्थापित कर रही है । अंग्रेजीनिष्ठ हिन्दी, फारसीनिष्ठ हिन्दी, उर्दूनिष्ठ हिन्दी और संस्कृतनिष्ठ हिन्दी का इस समय बोलबाला है इससे स्पष्ट होता है कि हिन्दी ने इन सभी भाषाओं को अपने में समेटते हुई राष्ट्र और विश्व की सार्वभौमिक भाषा बन चुकी है और वैश्विक स्तर पर भी समझी जाने वाली भाषा का दर्जा मिल रहा है |
  • इसको इस स्तर पर पहुंचाने के लिए टी वी, रेड़ियो, फिल्में, अखबार, न्यूज़ चैनल तथा प्रवर्जन की प्रमुख भूमिका रही है। बोलियां भी हिन्दी के अस्तित्व को स्वीकार कर रही है जिसके कारण ग्रामीण जन भी अपना संप्रेषण का माध्यम हिन्दी को चुन रहा है। आज हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में संचार साधनों के उपयोग में हिन्दी का प्रयोग होता रहना चाहिए।
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