वैशाख मास की कवि-संगोष्ठी में गेय रचनाओं की बही रसधार,खूब हुई वाहवाही और बजी तालियां

Rakesh Gupta
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-डॉ0 संजय (हाजीपुर)- वैशाख मास की कवि-संगोष्ठी रविवार को सांयकाल गांधी स्मारक पुस्तकालय में आयोजित हुई जिसकी अध्यक्षता डॉ० शिव बालक राय प्रभाकर ने की तथा संचालन डॉ० संजय ‘विजित्वर’ ने किया। इस कवि-संगोष्ठी में गेय रचनाओं की रसधार बही जिसपर वाहवाही हुई और तालियां बजी। शुरुआत में डॉ० संजय ‘विजित्वर’ ने स्वलिखित सरस्वती वंदना — मां शारदे वर दे , समरसता की धार बहा दे, सुख-शांति का वर दे—की गायन से की जिसमें हारमोनियम पर डॉ नंदू दास तथा तबला पर मुकेश कुमार शर्मा तथा खजली पर मनोज भूषण ने संगत की।

इसके बाद मुकेश कुमार शर्मा ने ये बिहार है —का सुमधुर गायन स्वयं तबला बजाकर किया जिसपर खूब वाहवाही हुई।इस क्रम में डॉ० नंदू दास ने अपनी गेय रचना – ये मिट्टी है बिहार की — सुनाकर तालियां बटोरी। अमर आनंद ने सुमधुर स्वर में अपनी गेय रचना – जिंदगी जीने का नाम है,जीना है हमको छोड़ हर ग़म को — सुनाई जिसपर खूब वाहवाही हुई।

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मनोज भूषण ने –कसीदे पढ़-पढ कर सदैव इतराते रहे –सुनाई। इसके बाद अजय सिंह ने — बड़े बाप के बेटे हैं जब से जन्में लेटे हैं – सुनाई जिसपर वाहवाही हुई।संचालन कर रहे डॉ० संजय ‘विजित्वर’ ने बज्जिका की आह्वान गीत –कि हाल-चाल हई हो,कथी करईछऽ तू, बज्जिका बोलऽ, बज्जिका लिखऽ,बज्जिका पढऽ तूऽ– –का सुमधुर गायन किया जिसपर वाहवाही हुई और तालियां बजी।

अध्यक्षता कर रहे डॉ० शिव बालक राय प्रभाकर ने—कुल खानदान की मर्यादा से रहना ही है संस्कृति– सुनाई। धन्यवाद ज्ञापन, मुकेश कुमार शर्मा ने की।इस अवसर पर राहुल कुमार और शोध कर रही छात्रा और उनके परिजन की भी उपस्थिति रही।

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