सारण: अर्थराइटिस मरीजों को बिना डॉक्टर के सलाह के ज्यादा दर्द के दवा का सेवन हो सकता है खातरनाक: डॉ. आनंद कुमार….

Rakesh Gupta
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फोटो ड़ॉ आनंद कुमार

 बिहार न्यूज़ लाईव सारण डेस्क:  छपरा कार्यालय। घुटने और कुल्हे की गठिया रोग महिलाएं अधिक ग्रसित
छपरा। उम्र बढ़ने के साथ अधिकांश लोगों को जोड़ों में दर्द या सूजन की समस्या से जूझना पड़ता है। हड्डियों या जोड़ों में होने वाले इस दर्द को अर्थराइटिस कहा जाता है। अर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं और शुरुआत में ही इसके प्रति यदि सतर्क हो जाएं तो मरीज इस समस्या से खुद का बचाव कर सकता है। छपरा शहर के श्री सांई ऑर्थो केयर के हड्‌डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद कुमार ने कहा कि अर्थराइटिस को आम भाषा में गठिया के नाम से भी जाना जाता है।

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गठिया दो तरह की होती है। एक 20 से 30 साल की उम्र में होती है। इसमें जोड़ों में सूजन हो जाती है और जोड़ जाम हो जाते हैं। यह समस्या मौसम परिवर्तन के साथ बढ़ती है। इसमें फेफड़े, गुर्दे, और मांस पेशियों में दर्द इसी वजह से होता है। गुर्दे तक खराब हो जाते हैं।

उपचार के लिए जोड़ों को बदलना पड़ता है:
डॉ. आनंद कुमार ने कहा कि इसका उपचार बायोलाजिक्स दवाओं से होता है। इम्यूनिटी कम करने वाली दवाएं कारगर साबित हो रही हैं।

 

यह आनुवांशिक बीमारी है। दूसरे तरह का गठिया रोग बढ़ती उम्र में होता है। इसमें कार्टिलेज घिसने से जोड़ों में दर्द होता है और पैरों की चाल कम हो जाती है। इसमें रहन-सहन के तरीके, चोट लगने से परेशानी बढ़ती है। घुटने, कूल्हे में दूसरे तरह का गठिया रोग अधिक पाया जाता है। खासकर महिलाएं इससे अधिक ग्रस्त हैं। इसके उपचार के लिए जोड़ों को बदलना पड़ता है।

 

 

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