जलियांवाला बाग हत्याकांड – जरा याद करो कुर्बानी !

Rakesh Gupta
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बिहार न्यूज़ लाइव /आजादी के इतिहास का वो काला दिन जो कभी भुलाया नहीं जा सकता अंग्रेजों ने निहत्‍थे भारतीयों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं. जलियांवाला बाग में घटी इस घटना को आज पूरे 104 साल बीत चुके हैं. लेकिन आज भी इसके जख्‍म ताजा से लगते हैं और इस दर्दनाक और दुख से भरे दिन को भारत के इतिहास की काली घटना के रूप में याद किया जाता है. आज एक बार फिर उन सभी शहीद भारतीयों को शत शत नमन !

 

जलियाँवाला बाग अमृतसर के स्वर्ण मन्दिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है जहाँ 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शान्त बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हजारों लोगों को घायल कर दिया था। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था।इसी घटना की याद में यहाँ पर स्मारक बना हुआ है।

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हर साल वह दिन जब भी आता है, उस नरसंहार की यादें ताजा हो जाती हैं। शहादत का यह दिन 13 अप्रैल को होता है। इस दिन जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था। हर भारतीय के लिए जलियांवाला बाग हत्याकांड बेहद दर्दनाक घटना है, जिसमें खून की नदियां बह गईं। कुआं भारतीयों की लाशों से पट गए और मौत का वह मंजर हर किसी की रूह को चोटिल कर गया। जलियांवाला बाग

 

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