दादा के विरासत को आगे बढ़ाना करिश्मा के लिए बनी चुनौती

Rakesh Gupta
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18 बार के चुनाव में 14 बार इसी परिवार का कब्जा

दरियापुर।सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 दारोगा प्रसाद राय के विरासत को आगे बढ़ाना उनकी पौत्री सह राजद प्रत्याशी डॉ0 करिश्मा राय के लिए एक बड़ी चुनौती है।स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय सहभागिता निभाने वाले दारोगा बाबू का आजादी के समय से ही परसा विधान सभा क्षेत्र पर एकछत्र साम्राज्य रहा।उनके मिलनसार स्वभाव से उन्हें सभी वर्गों का भरपूर समर्थन मिलता था।जिस कारण आजादी के बाद सन 1952 में सम्पन्न हुए पहली विधान सभा चुनाव में ही जो सफलता हासिल हुई वो लगातार लंबे समय तक कब्जा जमाए रहे।परन्तु जेपी आंदोलन के बाद हुए चुनाव में पराजित होना पड़ा,परन्तु पुनः 1980 में फिर से जीत हासिल कर लिए।

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इस प्रकार उन्होंने सात बार यहां का प्रतिनिधित्व किया।वहीं उनके निधन के बाद उनकी पत्नी पार्वती देवी विजय हासिल की। वहीं उनके बाद उनके पुत्र चंद्रिका राय उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए छह बार चुनाव जीतने में सफल रहे है।दारोगा बाबू को कांग्रेस ने 1970 में मुख्यमंत्री भी बनाया।हालांकि उनका कार्यकाल मात्र लगभग 11 महीने का ही रहा।

इसके बावजूद इतने कम समय में भी उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के साथ ही महत्वपूर्ण कार्यों को कराया।जिससे आज भी परसा की जनता दारोगा बाबू का सम्मान तो करती है लेकिन राजनीतिक समर्थन में कमी आ गई है।विगत एक दशक में इस परिवार की क्षेत्र में पकड़ में कमी होती नजर आ रही है।जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण चंद्रिका राय का टिकट कटना बताया जा रहा है।

हालांकि इस बार के चुनाव में राजद ने स्व0 दारोगा बाबू के पौत्री एवं चंद्रिका राय की भतीजी करिश्मा राय को टिकट देकर परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की उम्मीद जगाई है।वैसे में पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाना इनके लिए चुनौती होगी।हालांकि पिछले पांच वर्षों से क्षेत्र में सक्रियता और मिलनसार स्वभाव के कारण मतदाताओं में पकड़ बनाने में सहायक साबित हो सकता है।वैसे में अब देखना यह होगा कि राजद प्रत्याशी अपने दादा के विरासत को आगे बढ़ाने में सफल हो पाती है या नहीं।

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