भागलपुर: भागलपुर से बेतिया तक चले ‘कवि नेपाली एक्सप्रेस’ : विकास झुनझुनवाला।

Rakesh Gupta
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*भागलपुर से बेतिया तक चले ‘कवि नेपाली एक्सप्रेस’ : विकास झुनझुनवाला।*

बिहार न्यूज़ लाइव भागलपुर , रविवार को स्थानीय नेपाली शहादत-भूमि भागलपुर जंक्शन पर, राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली की 60वीं पुण्यस्मृति पखवाड़ा के पूर्वारंभ पर यात्राध्यक्ष पारस कुंज की अध्यक्षता में ‘शब्दयात्रा भागलपुर’ द्वारा उनकी कविता व गीतों के माध्यम से एक शानदार ‘भावांजलि कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया।राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली के स्मृति और सम्मान को अक्षुन्न बनाए रखने के लिए स्वागताध्यक्ष विकास झुनझुनवाला के प्रस्ताव को करतलध्वनि से पारित किया गया,

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जिसमें उन्हेंने भारत सरकार से भागलपुर-से-बेतिया तक ‘कवि नेपाली एक्सप्रेस’ नामक एक विशेष ट्रेन के परिचालन कराए जाने की मांग की। ‘शब्दयात्रा गोपाल सिंह नेपाली आन्दोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारस कुंज ने भागलपुर जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या एक की उत्तरी दीवार से सटकर नेपाली जी की आदमकद प्रतिमा लगाने की मांग सहित, स्मार्ट सिटी अंतर्गत स्टेशन चौक के गेलार्ड होटल से बड़ीबाटा होते हुए दुग्धेश्वरनाथ महादेव चैक के मेला स्टोर तक की स्वीकृत सड़क ‘गोपाल सिंह नेपाली पथ’ नाम के बोर्ड को यथेष्ट लगवाने की भी मांग की।नेपाली आन्दोलन के संरक्षक रामरतन चुड़िवाला ने उनके साथ बिताये क्षणों की चर्चा करते हुए कहा कि सच लिखने वाले इस राष्ट्रकवि नेपाली को आजतक अपेक्षित सम्मान नहीं मिला है।उन्हें मरापरांत पद्मश्री सम्मान अवश्य मिले ।

 

आरंभ में भावान्जलि कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए बिहार अंगिका अकादमी के संस्थापक-निवर्त्तमान-अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ) लखनलाल सिंह आरोही ने गीतकार नेपाली के बहुआयामी व्यक्तित्व की विशद चर्चा करते हुए कहा कि – गोपाल सिंह नेपाली ने हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उसमें जबरदस्त कल्पना थी। उनकी रचनाशीलता से हिंदी साहित्य का सौन्दर्य बढ़ा है।

 

वे विद्रोही स्वभाव होने के साथ कुरीतियों के खिलाफ कलम चलाने वाले विलक्षण और रोमांटिक कवि थे। मौके पर ‘उल्लू’ पत्रिका के संपादक अश्विनी कुमार भागलपुरी, डॉ नवीन निकुंज, लेकगायक कपिलदेव कृपाला, रंगकर्मि राजेश कुमार झा, पत्रकार अभय कुमार भारती, सच्चिदानंद किरण, रवि कुमार जैन, सत्येन भास्कर एवं महेन्द्र मयंक आदि साहित्यकारों ने भी अपने विचारों सहित गोपाल सिंह नेपाली की कविता व गीतों के माध्यम से उनके विहंगम व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की। अंत में फिल्म नागपंचमी में लिखे नेपाली जी के सर्वाधिक लोकप्रिय आरती – ‘आरती करो नटरव की करो, भोले शंकर की आरती करो नटवर की’ के साथ भावान्जलि कार्यक्रम का समापन हुआ।

 

 

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